क्या पश्चिम बंगाल में बीएलओ ड्यूटी विवाद पर ईसीआई शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा?

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क्या पश्चिम बंगाल में बीएलओ ड्यूटी विवाद पर ईसीआई शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करेगा?

सारांश

पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के बीएलओ कर्तव्यों को स्वीकार न करने पर ईसीआई की कार्रवाई की संभावना। क्या यह शिक्षकों का भविष्य तय करेगा?

Key Takeaways

  • पश्चिम बंगाल के शिक्षकों का बीएलओ कार्यभार से इनकार
  • ईसीआई कार्रवाई का विचार कर रहा है
  • कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश
  • शिक्षकों की अनिच्छा और उसके कारण
  • राज्य सरकार और विपक्ष के बीच विवाद

कोलकाता, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) उन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लेने जा रहा है जो पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में उन्हें आवंटित बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) के कर्तव्यों को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं।

अक्टूबर में आने वाले त्योहारी सीजन के अंत में राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इन शिक्षकों को बीएलओ के रूप में कार्यभार सौंपा जा रहा है।

कोलकाता में स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) का कार्यालय उन शिक्षकों के बारे में चुनाव आयोग को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजने वाला है, जिन्होंने बीएलओ कार्यभार लेने से मना कर दिया है।

सीईओ कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगा, जिस पर सीईओ कार्यालय कार्रवाई करेगा।

सीईओ कार्यालय के एक सूत्र ने कहा, "पिछले महीने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल-न्यायाधीश पीठ ने यह निर्णय दिया था कि आयोग द्वारा सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बीएलओ नियुक्त करने में कोई समस्या नहीं है, जबकि कई शिक्षकों ने बीएलओ कार्यभार लेने से मना कर दिया है।"

"न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने यह भी कहा कि देश के कानूनी प्रावधान शिक्षकों को चुनाव संबंधी कार्यभार सौंपने की अनुमति देते हैं। हालांकि, इस आदेश के बावजूद कई शिक्षक बीएलओ की ड्यूटी लेने में अनिच्छा दिखा रहे हैं। अब आयोग उन पर सख्त कार्रवाई करना चाहता है।"

4 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा कि यदि आवश्यक हो, तो शिक्षकों को राष्ट्रहित में रविवार और छुट्टियों के दिन भी काम करना चाहिए।

सीईओ कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, शिक्षकों के एक बड़े वर्ग द्वारा काम करने में अनिच्छा के कारण, सीईओ कार्यालय को केवल राज्य सरकार के वेतनभोगी स्थायी कर्मचारियों को ही बीएलओ की ड्यूटी सौंपने में समस्या आ रही है, जैसा कि चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है।

"दूसरी तरफ, विपक्षी दल राज्य सरकार के संविदा कर्मचारियों को बीएलओ के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ मुखर रहे हैं। शिक्षकों द्वारा बीएलओ की ड्यूटी में अनिच्छा इस समस्या को और बढ़ा रही है, इसलिए यह मामला आयोग के संज्ञान में लाया जाएगा और उसके बाद सीईओ कार्यालय चुनाव आयोग के निर्देशानुसार कार्य करेगा।"

Point of View

NationPress
27/09/2025

Frequently Asked Questions

शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी क्यों दी जा रही है?
बीएलओ ड्यूटी को आगामी विधानसभा चुनावों और विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए आवश्यक माना गया है।
क्या बीएलओ ड्यूटी स्वीकार न करने पर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी?
हां, यदि शिक्षक बीएलओ ड्यूटी लेने से इनकार करते हैं, तो ईसीआई कार्रवाई कर सकता है।
क्या उच्च न्यायालय ने बीएलओ नियुक्ति को सही ठहराया?
हां, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बीएलओ नियुक्ति को कानूनी और उचित बताया है।
शिक्षकों की अनिच्छा का क्या कारण है?
शिक्षकों का मानना है कि चुनावी कार्यभार उनके नियमित कामकाज में बाधा डालता है।
क्या आयोग इस मामले पर सख्त कदम उठाने जा रहा है?
हां, आयोग शिक्षकों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का विचार कर रहा है।