क्या कलकत्ता हाईकोर्ट 32000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में फैसला सुनाएगा?

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क्या कलकत्ता हाईकोर्ट 32000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के मामले में फैसला सुनाएगा?

सारांश

पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला आज आ रहा है। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रितब्रत कुमार मित्रा की बेंच द्वारा सुनाए जाने वाले इस फैसले का राज्य सरकार और शिक्षकों पर गहरा असर पड़ेगा। क्या यह मामला राज्य के लिए एक नया मोड़ लेगा?

Key Takeaways

  • कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
  • राज्य सरकार की नीतियों की पारदर्शिता पर सवाल उठ सकते हैं।
  • पुनः रद्द होने पर यह दूसरा बड़ा झटका होगा।

कोलकाता, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं से जुड़े मामले पर आज कलकत्ता हाईकोर्ट की डिविजन बेंच अपना फैसला सुनाने वाली है। इस फैसले की प्रतीक्षा न केवल याचिकाकर्ताओं की है, बल्कि राज्य सरकार और हजारों नियुक्त शिक्षकों की भी नजर इसी पर टिकी हुई है।

इस मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को प्रारंभ हुई थी। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रितब्रत कुमार मित्रा की बेंच ने लगभग छह महीने तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। 12 नवंबर को सुनवाई समाप्त होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस मामले की शुरुआत तब हुई, जब 12 मई 2023 को कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं।

कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि कई उम्मीदवारों को कम रैंक होने के बावजूद पैसे देकर नौकरी दिलाई गई थी।

राज्य सरकार ने इस फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती दी। मामला पहले जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास डे की बेंच को भेजा गया था, लेकिन बाद में जस्टिस सेन ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। इसके बाद यह मामला मौजूदा डिविजन बेंच को सौंपा गया।

2014 में पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन ने टीईटी के आधार पर 42,500 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की थी। इसी भर्ती प्रक्रिया पर कई उम्मीदवारों ने बड़े पैमाने पर धांधली की शिकायत कोर्ट में की थी। इन आरोपों की लंबी सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 32,000 नियुक्तियां रद्द कर दी थीं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डिविजन बेंच सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखती है या कोई अलग फैसला सुनाती है। अगर यह नियुक्तियां रद्द होती हैं, तो यह साल में दूसरी बार होगा जब शिक्षक भर्ती मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका लगेगा।

इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट की डिविजन बेंच ने उस आदेश को सही ठहराया था जिसमें डब्ल्यूबीएसएससी की 2016 की पूरी पैनल रद्द कर दी गई थी। इससे लगभग 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरी प्रभावित हुई थी।

Point of View

बल्कि यह राज्य सरकार की नीतियों और प्रबंधन पर भी सवाल उठाता है। उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार सभी के लिए महत्वपूर्ण है, और इससे शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा मिल सकता है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला कब आएगा?
कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला आज, 3 दिसंबर को सुनाया जाएगा।
इस मामले की सुनवाई कब शुरू हुई थी?
इस मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को शुरू हुई थी।
क्या राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी थी?
हाँ, राज्य सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती दी थी।
इस भर्ती में अनियमितता के आरोप क्या हैं?
कई उम्मीदवारों को कम रैंक होते हुए भी पैसे देकर नौकरी दिलाने के आरोप हैं।
क्या पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं?
हाँ, इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती में धांधली के कई मामले सामने आ चुके हैं।
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