क्या पश्चिम बंगाल में टीएमसी नेता के बयान पर सुकांत मजूमदार ने धर्म का अपमान किया?

सारांश
Key Takeaways
- टीएमसी नेता द्वारा विधायक की तुलना ईश्वर से विवादास्पद है।
- भाजपा ने इसे धर्म का अपमान बताया।
- महिलाओं की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं।
- उत्तर बंगाल की बाढ़ स्थिति पर भी चर्चा हुई।
- भाजपा उत्तर बंगाल में बढ़ते समर्थन का दावा कर रही है।
बालुरघाट, १२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता प्रतिमा चैताली द्वारा इटहार विधायक मोशरफ हुसैन की ईश्वर से तुलना करने का विवाद बढ़ता जा रहा है। भाजपा सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री सुकांत मजूमदार ने रविवार को चैताली के बयान की कड़ी निंदा की और इसे धर्म का अपमान करार दिया।
सुकांत मजूमदार ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर तीखा हमला किया है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने विधायक मोशरफ हुसैन को लेकर टीएमसी नेता प्रतिमा चैताली घोष के बयान पर कटाक्ष किया। मजूमदार ने कहा, "यह हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों का अपमान है।"
मजूमदार ने टीएमसी की महिलाओं की सुरक्षा नीतियों पर भी सवाल उठाया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में रात में छात्राओं और महिलाओं को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी थी, जिस पर मजूमदार ने चुटकी लेते हुए कहा, "अब शायद अगला फरमान यह होगा कि महिलाएं नौकरी भी नहीं कर सकेंगी, और इसके लिए मुख्यमंत्री तालिबानी व्हिप जारी करेंगी।"
बीजेपी नेता ने इसे 'महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला' बताते हुए कहा कि ममता सरकार महिलाओं को डराने-धमकाने का काम कर रही है, जबकि केंद्र सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी योजनाओं के माध्यम से उन्हें सशक्त कर रही है।
सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल की बाढ़ प्रभावित स्थिति का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उत्तर बंगाल बाढ़ में डूब रहा था, तब मुख्यमंत्री कोलकाता में कार्निवल में नाच रही थीं। उन्होंने मजाक में कहा, "अब उत्तर बंगाल में खुद नाचने के लिए दौड़ती फिर रही हैं, क्योंकि यहां की जनता ने उनसे मुंह मोड़ लिया है। इसलिए वे अब यहां भागकर आई हैं।"
मजूमदार ने याद दिलाया कि २०२४ की बाढ़ में बीजेपी कार्यकर्ता राहत सामग्री बांटते समय टीएमसी गुंडों के हमले का शिकार हुए थे, जबकि ममता सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
मजूमदार ने दावा किया कि उत्तर बंगाल की जनता अब बीजेपी को समर्थन दे रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने रेल नेटवर्क, सड़कें और बाढ़ नियंत्रण पर करोड़ों खर्च किए हैं।