क्या विश्व जनसंख्या दिवस पर योगी आदित्यनाथ की अपील महत्वपूर्ण है?

सारांश
Key Takeaways
- योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण को अनिवार्य नीति बताया।
- संतुलित जनसंख्या समृद्ध समाज की नींव है।
- जन जागरूकता और जन भागीदारी पर जोर दिया गया।
- अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों का भी उल्लेख किया गया है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर भारत के प्रमुख नेताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने जनसंख्या के संतुलन, संसाधनों के बेहतर उपयोग और सतत विकास की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दिन को जनसंख्या नियंत्रण के लिए अनिवार्य नीति के रूप में बताया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि संतुलित जनसंख्या एक समृद्ध समाज और सतत विकास की नींव है। उन्होंने जन-जागरूकता, जन-भागीदारी और नीतिगत प्रयासों के समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि यह लक्ष्य तभी संभव है जब समाज और सरकार मिलकर काम करें।
उन्होंने देशवासियों से 'संतुलित जनसंख्या-सक्षम भारत' के संकल्प को मजबूत करने की अपील की।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स हैंडल पर कहा, "तेजी से बढ़ती जनसंख्या हमारे संसाधनों, पर्यावरण और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है। आइए, हम सभी जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के महत्व को समझें और समाज को जागरूक कर एक संतुलित एवं सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।"
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर लिखा कि जनसंख्या विस्फोट जैसी स्थिति से बचना आवश्यक है। असंतुलित जनसंख्या वृद्धि समाज, राष्ट्र और उपलब्ध संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और बेहतर दुनिया सुनिश्चित करने की अपील की।
वहीं, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भारत की विशाल जनसंख्या को देश की ताकत बताया। उनका कहना है कि इस जनसंख्या में अपार संभावनाएं छिपी हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिकी जनगणना ब्यूरो ने अपनी ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि विश्व की जनसंख्या 2038 तक 9 अरब, 2057 तक 10 अरब और 2098 तक 10.9 अरब तक पहुंचने के बाद इसमें कमी शुरू हो सकती है।