क्या सीएम योगी की नई पहल गो सेवा से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार?

सारांश
Key Takeaways
- गोवंश संरक्षण
- आत्मनिर्भरता
- महिला स्वावलंबन
- स्वच्छ ऊर्जा
- स्थायी आय स्रोत
लखनऊ, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की नई मिसाल स्थापित करने के लिए योगी सरकार एक नवीन योजना की शुरुआत करने जा रही है। अब राज्य के किसान गोवंश को गोद ले सकेंगे। इस पहलकदमी से न केवल गोवंश का संरक्षण होगा, बल्कि गो आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अंतर्गत किसानों को एक से चार तक गोवंश प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
इस योजना के तहत जिन किसानों को गोवंश दिया जाएगा, उनके आवासीय परिसर में ही मनरेगा के अंतर्गत व्यक्तिगत कैटल शेड का निर्माण किया जाएगा। इससे किसानों को अपने पशुओं के रखरखाव के लिए एक अलग स्थान मिलेगा, जिससे स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा। इसके साथ ही, स्मॉल बायोगैस यूनिट भी स्थापित की जाएंगी।
गो सेवा के माध्यम से सीएम योगी की इस नई पहल से बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी गति पकड़ेगी। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। जल्द ही महिला स्वयं सहायता समूहों और नवयुवकों को विशेष रूप से इस अभियान में शामिल किया जाएगा, जिससे उनके स्वावलंबन को नई दिशा मिलेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहलकदमी में ऊर्जा संरक्षण को भी जोड़ा गया है। हर गोवंश पालक को छोटी लघु बायोगैस इकाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि गोबर से स्वच्छ ईंधन का उत्पादन किया जा सके। यह किसानों के रसोई ईंधन की आवश्यकता को भी पूरा करेगा और पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा।
मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के माध्यम से ग्रामीणों, विशेषकर महिला स्वयं सहायता समूहों और नवयुवकों को गो सेवा से जोड़ा जाएगा। इससे उन्हें न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि आय का स्थायी स्रोत भी उपलब्ध होगा। इस योजना से ग्राम स्तर पर ऊर्जा और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। यह योजना सामाजिक सहभागिता, स्वरोजगार और ग्राम्य विकास का समन्वित मॉडल है। इसके अंतर्गत गो आधारित जैविक खेती, गोबर से खाद और ईंधन तैयार कर ग्रामीणों को आर्थिक मजबूती दी जाएगी।
यह योजना एकीकृत ग्रामीण विकास मॉडल के रूप में लागू की जा रही है, जिसमें गोवंश संरक्षण, जैविक खेती, ऊर्जा उत्पादन और सामाजिक स्वावलंबन जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी और गांवों में सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। इस योजना के अंतर्गत परंपरा और तकनीक का समावेश कर ग्रामीण विकास को नया आयाम देने का प्रयास किया जा रहा है।