क्या भारत का हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी बाजार वैश्विक वृद्धि को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत का हर्बल और आयुर्वेदिक OTC बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
- 2025 तक यह 69 मिलियन डॉलर से बढ़कर 118 मिलियन डॉलर हो सकता है।
- डिजिटल अडॉप्शन से बाजार का विस्तार हो रहा है।
- हर्बल उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है।
- चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत का हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी (ओवर द काउंटर) मार्केट में 6.5 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि की उम्मीद है, जो 2025 में 69 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2033 के अंत तक 118 मिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा। इस वृद्धि के साथ, मार्केट वैश्विक रुझानों से आगे निकलने की संभावना है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में साझा की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है क्योंकि 2024 में 40 प्रतिशत नए लॉन्च को विनियामक बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें केवल 20 प्रतिशत उत्पादों को क्लिनिकल मान्यता मिली है और 30 प्रतिशत तक की पेशकशें गुणवत्ता संबंधी चिंताओं से प्रभावित हैं, जिससे क्लिनिकल इलनेस के लिए उनकी विश्वसनीयता और अपनाने में कमी आती है।
हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। नवीनतम शोध के अनुसार, इस उद्योग ने 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय घरों में मजबूती से प्रवेश किया है।
यह जानकारी 1लैटिस की हेल्थकेयर इंटेलिजेंस रिसर्च विंग मेडआईक्यू द्वारा किए गए नवीनतम उद्योग विश्लेषण से प्राप्त हुई है, जो उपभोक्ता व्यवहार में एक मौलिक बदलाव को उजागर करती है। यह दर्शाता है कि सभी आयु वर्गों में नेचुरल और केमिकल-फ्री वेलनेस उत्पादों के प्रति प्राथमिकता में एक मजबूत बदलाव आया है।
स्टडी से पता चलता है कि इस तेजी से विकास के पीछे महत्वपूर्ण कारक लोकप्रिय श्रेणियों जैसे च्यवनप्राश, अश्वगंधा सप्लीमेंट्स, आयुर्वेदिक पर्सनल केयर, फंक्शनल फूड और यूथ-टारगेटेड प्रोडक्ट्स जैसे इफर्वेसेंट टैबलेट्स की व्यापक खपत है।
स्टडी से यह भी सामने आया है कि नए अडॉप्टर्स में से 40 प्रतिशत से अधिक मिलेनियल्स और जेन जी हैं, जो ट्रेडिशनल वेलनेस के लिए एक पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल अडॉप्शन से बाजार का विस्तार तेजी से हो रहा है, शहरी ओटीसी बिक्री का 10 प्रतिशत से अधिक अब ऑनलाइन है और 35 प्रतिशत नए उत्पाद टेक-ड्रिवन पर्सनलाइजेशन प्रदान करते हैं।
इस बीच, लगभग 60 प्रतिशत शहरी उपभोक्ता सक्रिय रूप से क्लीन-लेबल और जैविक-प्रमाणित उत्पादों की खोज कर रहे हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती जागरूकता का संकेत है।
इस क्षेत्र में इनोवेशन की एक मजबूत लहर भी देखी जा रही है, जिसमें 2023 में आरएंडडी निवेश 45 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
वैश्विक स्तर पर, हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी बाजार 2025 में 145 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2033 तक 230 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।