क्या वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि स्थिर है?

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क्या वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि स्थिर है?

सारांश

क्या भारत की आर्थिक वृद्धि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी स्थिर रह सकती है? जानिए बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में क्या कहा गया है, जिसमें सेवाओं और विनिर्माण के क्षेत्र में सुधार के संकेत दिए गए हैं।

Key Takeaways

  • आर्थिक वृद्धि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिर है।
  • सेवाओं और विनिर्माण में सुधार के संकेत हैं।
  • खपत में तेजी दर्ज की गई है।
  • घरेलू मुद्रास्फीति अनुकूल बनी हुई है।
  • केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत है।

नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की आर्थिक वृद्धि अपनी गति बनाए हुए है। सेवाओं और विनिर्माण दोनों के हाई फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर में सुधार देखा गया है, और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में खपत में पिछले वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही की तुलना में तेजी आई है।

बीओबी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पहली तिमाही के लिए उपलब्ध सभी हाई फ्रिक्वेंसी डेटा से संकेत मिलता है कि खपत मांग में सुधार हो रहा है। यह स्टील की खपत, इलेक्ट्रॉनिक आयात और केंद्र सरकार के राजस्व व्यय में वृद्धि से स्पष्ट होता है।

सेवाओं के क्षेत्र में भी गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है, जैसा कि सेवाएं पीएमआई, वाहन पंजीकरण, डीजल खपत, राज्यों के राजस्व संग्रह, और ई-वे बिल जनरेशन में देखा जा सकता है।

हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि दोपहिया वाहनों की बिक्री में कुछ तनाव है और कंज्यूमर ड्यूरेबल और एफएमसीजी उत्पादन में कमी देखी जा सकती है। घरेलू मुद्रास्फीति अनुकूल बनी हुई है, जो नरम मौद्रिक नीति का संकेत देती है, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा।

मौसम की गतिविधि 9 जुलाई तक लंबी अवधि के औसत से 15 प्रतिशत अधिक है, जो कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की संभावना बताती है।

केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत है, और राजकोषीय घाटा अनुपात अप्रैल 2025 के 4.6 प्रतिशत से घटकर मई 2025 तक 4.5 प्रतिशत हो गया है।

रिपोर्ट में रुपए की भविष्यवाणी भी सकारात्मक है। इसमें उल्लेख किया गया है कि मई में 1.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद, जून में 0.2 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई। भू-राजनीतिक तनाव कम होने और डॉलर के कमजोर होने के कारण, महीने के आखिरी 15 दिनों में घरेलू मुद्रा में सीमित दायरे में कारोबार हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया है, "जुलाई में, अमेरिकी टैरिफ नीतियों को लेकर चिंताओं के बावजूद, रुपया मजबूती के साथ कारोबार कर रहा है। हमें उम्मीद है कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। निवेशकों को 1 अगस्त की समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के सफलतापूर्वक पूरा होने की उम्मीद है, जिससे रुपए को समर्थन मिलेगा।"

ग्लोबल स्तर पर, टैरिफ की आशंकाएं विकास-मुद्रास्फीति की गतिशीलता को प्रभावित कर रही हैं। नई वस्तु-विशिष्ट और देश-विशिष्ट टैरिफ दरों की आशंका के साथ मुद्रास्फीति संबंधी चिंताएं फिर से बढ़ गई हैं। हाल ही में फेड मिनट्स में भी इसे मौद्रिक नीति में ढील के रास्ते में एक बाधा के रूप में उजागर किया गया है। अंतर्निहित अस्पष्ट वैश्विक पृष्ठभूमि के आधार पर, घरेलू बाजारों में कुछ हद तक अस्थिरता दिखाई देने की संभावना है।

Point of View

जो वैश्विक चुनौतियों के बीच भी अपनी गति बनाए रख सकती है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन मौद्रिक नीति और सरकार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए, हमें अपने आर्थिक विकास के प्रति आशावादी रहना चाहिए।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत की आर्थिक वृद्धि के मुख्य कारण क्या हैं?
भारत की आर्थिक वृद्धि के मुख्य कारणों में सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्र में सुधार, खपत की बढ़ती मांग और घरेलू मुद्रास्फीति का अनुकूल रहना शामिल हैं।
क्या वैश्विक अनिश्चितताओं का भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है?
हाँ, वैश्विक अनिश्चितताएँ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं, लेकिन इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि भारत अपनी आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम है।