क्या ब्रिटिश शोध में सिजोफ्रेनिया के 8 नए जीन की पहचान हुई?

सारांश
Key Takeaways
- सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है।
- ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने आठ नए जीन की पहचान की है।
- इस अध्ययन से उपचार के विकास में मदद मिलेगी।
- इसमें शामिल डेटा में 28,898 मरीज शामिल थे।
- यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
नई दिल्ली, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इससे संबंधित आठ नए जीन की पहचान की है। यह खोज सिजोफ्रेनिया के रोग की गहरी समझ और भविष्य में प्रभावी उपचार के विकास में सहायक सिद्ध होगी।
सिजोफ्रेनिया व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में मतिभ्रम, भ्रम, अव्यवस्थित सोच और व्यवहार में परिवर्तन शामिल हैं।
कार्डिफ विश्वविद्यालय के न्यूरो साइकियाट्रिक जेनेटिक्स एंड जीनोमिक्स केंद्र (सीएनजीजी) के वैज्ञानिकों ने इस महत्वपूर्ण अध्ययन में प्रोटीन-कोडिंग जीन में दुर्लभ, उच्च-प्रभाव वाले उत्परिवर्तनों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया, जो सिजोफ्रेनिया से प्रभावित व्यक्तियों में अक्सर पाए जाते हैं।
यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें दो जीन, एसटीएजी1 और जेडएनएफ136, की पहचान की गई है, जिनसे सिजोफ्रेनिया का संबंध पाया गया है और इनके पीछे मजबूत आनुवंशिक सबूत हैं।
इसके अलावा, छह अन्य जीन जैसे एसएलसी6ए1, केएलसी1, पीसीएलओ, जेडएमवाईएनडी11, बीएससीएल2, और सीजीआरईएफ भी मिले हैं, जिनसे मध्यम प्रमाण जुड़े हुए हैं।
शोध में यह भी पाया गया कि एसएलसी6ए1 और केएलसी1 सिजोफ्रेनिया के जोखिम वाले पहले जीन हैं जो केवल मिसेंस वेरिएंट के माध्यम से जुड़े हैं। यह एक विशेष प्रकार का उत्परिवर्तन है जो प्रोटीन के अमीनो-एसिड अनुक्रम में परिवर्तन करता है।
कार्डिफ विश्वविद्यालय की पीएचडी छात्रा सोफी चिक ने कहा, "ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया कोशिकाओं के भीतर डीएनए के संगठन में बदलाव और मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा जीएबीए नामक रसायन का उपयोग करके संचार में बाधा से संबंधित हो सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "ये परिणाम सिजोफ्रेनिया के जटिल तंत्रिका जीव विज्ञान को बेहतर समझने में मदद करते हैं और दवा खोजने और उपचार में सुधार के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक बनते हैं।"
इस अध्ययन में सिजोफ्रेनिया से प्रभावित 28,898 मरीजों, इस बीमारी से मुक्त 103,041 व्यक्तियों और इस विकार से प्रभावित 3,444 परिवारों के आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण किया गया है।
यह शोध सिजोफ्रेनिया और अन्य तंत्रिका विकास संबंधी बीमारियों के बीच साझा आनुवंशिक जड़ों को और मजबूत बनाता है। कार्डिफ विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रमुख लेखक डॉ. इलियट रीस का कहना है कि इन विशिष्ट जीनों का पता लगाना एक कठिन कार्य रहा है।
हालांकि इन आनुवंशिक खोजों को उपचार में बदलने में समय लगेगा, लेकिन ये परिणाम भविष्य में दवा विकास और लक्षित उपचार के लिए नई उम्मीद प्रदान करते हैं।
–राष्ट्र प्रेस
जेपी/एएस