क्या एसईसीआई और आंध्र प्रदेश ने 1200 मेगावाट बीईएसएस और 50 मेगावाट हाइब्रिड प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया?
सारांश
Key Takeaways
- 1200 मेगावाट बीईएसएस परियोजना का विकास
- 50 मेगावाट हाइब्रिड सोलर प्रोजेक्ट
- आंध्र प्रदेश के रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में सुधार
- क्लीन एनर्जी स्टोरेज क्षमता में वृद्धि
- भारत के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित करना
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से शनिवार को दी गई जानकारी के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) ने नांदयाल में 1200 मेगावाट क्षमता की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) और 50 मेगावाट क्षमता के हाइब्रिड सोलर प्रोजेक्ट के विकास हेतु आंध्र प्रदेश सरकार के साथ गवर्मेंट ऑर्डर्स (जीओ) का आदान-प्रदान किया।
गवर्मेंट ऑर्डर्स (जीओ) का यह आदान-प्रदान आंध्र प्रदेश के रिन्यूएबल एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री गोट्टीपति रवि कुमार ने आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के. विजयानंद और एनआरईडीसीएपी के उपाध्यक्ष एम. कमलाकर बाबू की उपस्थिति में एसईसीआई को औपचारिक रूप से सरकारी आदेश सौंपे।
यह आदान-प्रदान विशाखापत्तनम में आयोजित आंध्र प्रदेश पार्टनरशिप समिट 2025 के एनर्जी सेशन के दौरान हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन आंध्र प्रदेश सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा सीआईआई के सहयोग से किया गया था।
केंद्र सरकार के अनुसार, बीईएसएस और हाइब्रिड सोलर प्रोजेक्ट को सीएपीईएक्स मोड के तहत विकसित किया जाएगा और एसईसीआई की ओर से सभी निवेश की जिम्मेदारियां उठाई जाएंगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, विद्युत मंत्रालय ने 23 जनवरी 2025 के एक आदेश के माध्यम से मार्केट बेस्ड ऑपरेशन के तहत एसईसीआई को 1200 मेगावाट क्षमता वाले बीईएसएस प्रोजेक्ट के लिए कार्यान्वयन एजेंसी बनाया था। इसके बाद एसईसीआई के बोर्ड के अध्यक्ष संतोष कुमार सारंगी ने 22 अक्टूबर 2025 को इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी।
एसईसीआई ने भारत को एक अधिक हरित और मजबूत ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, जिसमें राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ साझेदारी शामिल है।
ये दोनों ही प्रोजेक्ट क्लीन एनर्जी स्टोरेज क्षमता को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जिससे राज्य का रिन्यूएबल इकोसिस्टम मजबूत होगा और भारत के अधिक मजबूत तथा स्टोरेज-इनेबल्ड ग्रीन ग्रिड में परिवर्तन को बल मिलेगा।