क्या रोकथाम योग्य सर्वाइकल कैंसर हर दो मिनट में एक महिला की मौत का कारण बन रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- सर्वाइकल कैंसर की जांच और टीकाकरण आवश्यक हैं।
- एचपीवी वायरस इस कैंसर का मुख्य कारण है।
- समय पर उपचार से कैंसर को रोका जा सकता है।
- 2030 तक टीकाकरण और जांच का लक्ष्य है।
- महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आवश्यक है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक स्तर पर हर दो मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गंवा देती है, जबकि इस बीमारी की रोकथाम संभव है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र ने विश्व सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन दिवस (17 नवंबर) के अवसर पर साझा की।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य इस रोग के प्रति जागरूकता फैलाना और एचपीवी टीकाकरण, बेहतर जांच सुविधाएं और उपचार को बढ़ावा देना है।
संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि जिस गति से महिलाएं इस बीमारी से मर रही हैं, उसके मद्देनजर जांच, टीकाकरण और उपचार की पहुंच सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, टीकाकरण, नियमित जांच और प्रारंभिक अवस्था में उपचार कैंसर से बचाव में सहायक होते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है। वर्ष 2022 में लगभग 6.60 लाख नए मामले और 3.50 लाख मौतें हुईं। इनमें से अधिकांश मौतें गरीब देशों में होती हैं, जहां टीकाकरण और जांच की सुविधाएं कम हैं।
यह कैंसर एचपीवी वायरस से उत्पन्न होता है, जो लंबे समय तक शरीर में बना रह सकता है। एचआईवी से प्रभावित महिलाओं को इस कैंसर का खतरा छह गुना अधिक होता है। लेकिन यदि समय पर इसका पता लगाकर इलाज किया जाए, तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
एचपीवी के खिलाफ टीकाकरण और प्रारंभिक जांच एवं उपचार कैंसर की रोकथाम के सबसे प्रभावी और सस्ते उपाय हैं।
इस वर्ष की थीम है- अभी कदम बढ़ाएं: सर्वाइकल कैंसर समाप्त करें। लक्ष्य है कि 2030 तक तीन प्रमुख उद्देश्यों को हासिल किया जाए: 15 वर्ष की उम्र तक 90 प्रतिशत लड़कियों का एचपीवी टीकाकरण, 35 और 45 वर्ष की महिलाओं में 70 प्रतिशत तक जांच, और 90 प्रतिशत महिलाओं का उपचार।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यदि हम सभी मिलकर अभी कदम उठाएं, तो इस रोग को समाप्त करना संभव है। हर लड़की को टीका और हर महिला को जांच व उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए।