क्या डायबिटिक पेशन्ट्स को घुटने की सर्जरी के बाद इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा है?

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क्या डायबिटिक पेशन्ट्स को घुटने की सर्जरी के बाद इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा है?

सारांश

डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को घुटने की सर्जरी के बाद उच्च जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। नए अध्ययन में इन्फेक्शन और खून के थक्के जमने की संभावनाओं में वृद्धि का खुलासा हुआ है। जानें, कैसे बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण सर्जरी के परिणामों को सुधार सकता है।

Key Takeaways

  • डायबिटीज के मरीजों में सर्जरी के बाद इन्फेक्शन का खतरा बढ़ता है।
  • ब्लड शुगर नियंत्रण सर्जरी के परिणामों को सुधारने में मदद करता है।
  • डीवीटी से फेफड़ों में रुकावट हो सकती है।
  • सर्जरी से पहले जोखिम प्रबंधन जरूरी है।
  • अध्ययन में मधुमेह पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि डायबिटीज न केवल घुटनों में दर्द और जोड़ों की गंभीर क्षति का कारण बनता है, बल्कि घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी (टोटल नी आर्थ्रोप्लास्टी या टीकेए) के बाद इन्फेक्शन और खून के थक्के जमने का खतरा भी बढ़ाता है।

यह अध्ययन नई दिल्ली के वर्धमान मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल के शोधकर्ताओं ने किया है, जिसमें इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल के विशेषज्ञ भी शामिल थे।

अध्ययन में पाया गया कि डायबिटिज से पीड़ित लोगों में घुटने की सर्जरी के बाद जोड़ों में इन्फेक्शन (पेरीप्रोस्थेटिक जॉइंट इन्फेक्शन या पीजेआई) का खतरा 43 प्रतिशत अधिक होता है। इसके अलावा, डीप वेन थ्रोम्बोसिस या डीवीटी यानी खून के थक्के जमने का रिस्क भी 45 प्रतिशत ज्यादा होता है।

डीवीटी से फेफड़ों की धमनियों में रुकावट (पल्मोनरी एम्बोलिज्म) हो सकती है, जो मृत्यु का कारण भी बन सकती है। मधुमेह के मरीजों में अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की दर भी 28 प्रतिशत अधिक पाई गई। विशेष रूप से, इंसुलिन लेने वाले डायबिटिज रोगियों में सर्जरी के दौरान और बाद में 60 प्रतिशत अधिक मुश्किलें देखी गईं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि डायबिटिज का असर सर्जरी पर पड़ता है, जिससे शारीरिक कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। खराब ब्लड शुगर नियंत्रण सर्जरी के परिणामों को और खराब करता है।

अध्ययन में सुझाव दिया गया कि मधुमेह के मरीजों के लिए सर्जरी से पहले बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत है।

यह अध्ययन जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में प्रकाशित हुआ है और इसमें व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-एनालिसिस के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए हैं।

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि भविष्य में और गहन अध्ययन किए जाएं ताकि ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए मानक दिशानिर्देश बनाए जा सकें और डायबिटिज के मरीजों में सर्जरी के रिस्क को कम करने के लिए बेहतर रणनीतियां विकसित की जा सकें। इससे मरीजों को सर्जरी से पहले बेहतर तैयारी और देखभाल मिल सकेगी, जिससे मुश्किलों को भी कम किया जा सकेगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि डायबिटीज के प्रभावों को समझना और सर्जरी से पहले उचित जोखिम प्रबंधन आवश्यक है। यह अध्ययन न केवल मरीजों को बल्कि चिकित्सकों को भी जागरूक करता है कि वे ब्लड शुगर नियंत्रण पर ध्यान दें ताकि सर्जरी के परिणाम बेहतर हो सकें।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को सर्जरी के बाद क्या खतरे होते हैं?
डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को घुटने की सर्जरी के बाद इन्फेक्शन और खून के थक्के जमने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या सर्जरी से पहले ब्लड शुगर नियंत्रण जरूरी है?
हाँ, बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण सर्जरी के परिणामों को सुधारने में मदद कर सकता है।
इस अध्ययन में शामिल संस्थान कौन से थे?
इस अध्ययन में वर्धमान मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग अस्पताल, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, और फोर्टिस सी-डॉक अस्पताल शामिल थे।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
अध्ययन में पाया गया कि डायबिटिज से पीड़ित लोगों में इन्फेक्शन का खतरा 43% और खून के थक्के जमने का रिस्क 45% अधिक होता है।
क्या इस अध्ययन का कोई प्रकाशन हुआ है?
हाँ, यह अध्ययन जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में प्रकाशित हुआ है।