क्या डीआरडीओ ने 'प्रलय' मिसाइल का लगातार दो सफल परीक्षण किया?

सारांश
Key Takeaways
- डीआरडीओ ने 'प्रलय' मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
- यह मिसाइल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है।
- परीक्षणों में सभी सबसिस्टम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
- इससे भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत में वृद्धि होगी।
- यह स्वदेशी विकास का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 28 और 29 जुलाई को ओडिशा के तट के निकट स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से स्वदेशी रूप से विकसित की गई 'प्रलय' मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए हैं। यह जानकारी रक्षा मंत्री कार्यालय द्वारा साझा की गई।
रक्षा मंत्री कार्यालय ने एक पोस्ट में लिखा, "डीआरडीओ ने 28 और 29 जुलाई को ओडिशा तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए हैं।"
यूजर इवैल्यूएशन टेस्टिंग का उद्देश्य इस मिसाइल प्रणाली की अधिकतम और न्यूनतम मारक क्षमता को परखना था। परीक्षण के दौरान, मिसाइल ने अपनी निर्धारित मार्ग पर सटीकता से अनुसरण किया और अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही। परीक्षण में मिसाइल के सभी सबसिस्टम ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया। यह जानकारी इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) द्वारा तैनात विभिन्न ट्रैकिंग सेंसर और लक्ष्य क्षेत्र के पास तैनात जहाज पर लगे उपकरणों से प्राप्त हुई।
'प्रलय' एक स्वदेशी रूप से विकसित ठोस ईंधन आधारित क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है। इसमें उन्नत गाइडेंस और नेविगेशन सिस्टम शामिल है, जिससे यह अत्यधिक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेद सकती है। यह मिसाइल विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसे कई प्रकार के लक्ष्यों के खिलाफ उपयोग में लाया जा सकता है।
इस प्रणाली को हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं जैसे कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डीआरडीएल), एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी (एएसएल), आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई), और अन्य सहयोगियों के सहयोग से विकसित किया है।
इसके अलावा, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और कई अन्य उद्योगों तथा एमएसएमई इकाइयों ने भी इस परियोजना में योगदान किया है। परीक्षणों के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ भारतीय वायुसेना, थल सेना के अधिकारी और संबंधित उद्योग प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को इस सफलता पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इससे हमारी सेनाओं की ताकत में और वृद्धि होगी। डीआरडीओ प्रमुख और रक्षा अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने इसे "प्रथम चरण के सफल परीक्षण" की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि अब यह प्रणाली जल्द ही भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार है।