क्या भारत का ऊर्जा क्षेत्र विश्व के लिए मिसाल बनेगा? : पीयूष गोयल
सारांश
Key Takeaways
- बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि
- सौर ऊर्जा में तीसरा स्थान
- पवन ऊर्जा की क्षमता में 53 गीगावाट तक वृद्धि
- सस्ती बिजली के लिए जीएसटी में कटौती
- पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को बताया कि भारत ने बिजली उत्पादन, ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पिछले 11 वर्षों में भारत के ऊर्जा क्षेत्र की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि साहसिक सोच, ईमानदारी और निरंतर प्रयास एक राष्ट्र की तकदीर को बदल सकते हैं।
गोयल ने कहा कि यह बदलाव संयोग नहीं है, बल्कि स्पष्ट दृष्टिकोण और लगातार प्रयासों का परिणाम है। भारत अब बिजली की कमी से बिजली सुरक्षा और आगे बिजली स्थिरता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ता है, हमारा ऊर्जा क्षेत्र एक वैश्विक उदाहरण बनेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत ने 1,048 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया, जबकि कोयला आयात लगभग 8 प्रतिशत घटा। सौर ऊर्जा की क्षमता पिछले 11 वर्षों में 46 गुना बढ़ी, जिससे भारत अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है। पवन ऊर्जा की क्षमता भी 2014 में 21 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट हो गई।
गोयल ने कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बन चुका है और अपनी रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा, देश में 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन स्वीकृत की गई है, जिसमें से 25,923 किलोमीटर काम कर रही है। इन सभी उपायों से भारत का ऊर्जा नेटवर्क और भी मजबूत हो रहा है, जो भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगा।
उन्होंने शांति विधेयक का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भाग लेने की अनुमति देना है।
गोयल ने आगे बताया कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र की सफलता 5 प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ, सभी तक बिजली पहुंच है। भारत ने सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली पहुंचाई है। इसके साथ ही, उजाला योजना के तहत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे बिजली के बिलों में कमी आई और कार्बन उत्सर्जन भी कम हुआ है।
दूसरा स्तंभ सस्ती बिजली है। भारत सरकार ने सौर, पवन और अन्य साफ ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया है। इसके अलावा, ईथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को 2030 से पहले ही 20 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया।
तीसरा स्तंभ बिजली की उपलब्धता है। भारत ने 2013 में जहां 4.2 प्रतिशत बिजली की कमी अनुभव की थी, वही अब यह कमी 2025 तक 0.1 प्रतिशत रह गई है। इसके साथ ही, देश ने 250 गीगावाट की रिकॉर्ड बिजली मांग को पूरा किया।
चौथा स्तंभ आर्थिक स्थिरता है। पीएम-उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों में सुधार हुआ है और डिस्कॉम की देनदारी को 1.4 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 6,500 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
पांचवां और अंतिम स्तंभ सतत विकास और वैश्विक जिम्मेदारी है। भारत ने पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा किया है और अब देश की 50 प्रतिशत बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन से आ रही है।