क्या एफआईआई प्राइमरी मार्केट में 40,305 करोड़ रुपए का निवेश कर रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- एफआईआई ने अगस्त में 40,305 करोड़ रुपए का प्राइमरी मार्केट में निवेश किया।
- वे सेकेंडरी मार्केट में 39,063 करोड़ रुपए की बिकवाली कर रहे हैं।
- भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी बनने की राह पर है।
- सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंची।
- एफआईआई का निवेश भारत की विकास संभावनाओं को दर्शाता है।
मुंबई, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने एक ओर स्टॉक एक्सचेंज (सेकेंडरी मार्केट) में बिकवाली जारी रखी है, जबकि दूसरी ओर प्राइमरी मार्केट (आईपीओ, एफपीओ आदि) के माध्यम से इक्विटी में निवेश कर रहे हैं।
विश्लेषकों ने बताया कि एफआईआई ने अगस्त महीने में 40,305 करोड़ रुपए का निवेश प्राइमरी मार्केट में किया है। टैरिफ नीतियों और एक्सचेंज रेट में अचानक बदलाव भी एफआईआई के निवेश व्यवहार को प्रभावित कर रहे हैं।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि निकट भविष्य में इन कारकों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
अगस्त में एफआईआई ने अपनी बिकवाली को जारी रखते हुए एक्सचेंजों के माध्यम से कुल 39,063 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची।
इस बिकवाली के साथ, 2025 में अब तक एफआईआई की कुल बिकवाली 170,940 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।
यह सिलसिला पिछले साल भी जारी रहा। 2024 में एफआईआई ने कुल 1,21,210 करोड़ रुपए की बिकवाली की।
विजयकुमार के अनुसार, एफआईआई द्वारा की गई इस भारी बिकवाली का मुख्य कारण यह है कि अन्य बाजारों की तुलना में भारत में मूल्यांकन अपेक्षाकृत अधिक है। एफआईआई अब सस्ते बाजारों में निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि एफआईआई लंबे समय से प्राइमरी बाजार में लगातार खरीदार बने हुए हैं।"
हालांकि, भारत, जो कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के 2027 तक 4,26,45,000 करोड़ रुपए (5 ट्रिलियन डॉलर) के सकल घरेलू उत्पाद तक पहुंचने का अनुमान है और 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ देगा। 2030 तक, भारत 7.3 ट्रिलियन डॉलर के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत के आर्थिक विकास की गति तेज बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत के मजबूत स्तर पर पहुंच गई, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 की इसी तिमाही में यह वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत थी।
अगले महीने की शुरुआत में कई उच्च-आवृत्ति संकेतक जारी होने वाले हैं।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने कहा कि आने वाले हफ्तों में निवेशक एचएसबीसी मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और कम्पोजिट पीएमआई के साथ-साथ ऑटो बिक्री के आंकड़ों पर भी बारीकी से नजर रखेंगे। इसके अतिरिक्त, जीएसटी परिषद की बैठक पर भी ध्यान केंद्रित रहेगा।