क्या एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभावी विकल्प बन सकते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम कर सकते हैं।
- ये साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे पैथोजेन को नियंत्रित कर सकते हैं।
- इनकी क्षमता खाद्य सुरक्षा और जन स्वास्थ्य में सुधार लाने की है।
- ये औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी अपनी सक्रियता बनाए रखते हैं।
- अगले चरण में इनका बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाएगा।
नई दिल्ली, ५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इलिनोइस विश्वविद्यालय, अर्बाना-शैंपेन के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी महत्वपूर्ण खोज की है जो भविष्य में एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता को कम करने में सहायक हो सकती है। उन्होंने ऐसे रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स का पता लगाया है जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध उत्पन्न किए बिना हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में सक्षम हैं।
ये रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे पैथोजेन को नियंत्रित कर सकते हैं, जो खाद्य जनित बीमारियों के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, ये एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) से निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का एक प्रभावी विकल्प हो सकते हैं।
अमीनो एसिड की श्रृंखलाएं होते हुए, ये पेप्टाइड्स हानिकारक जीवाणुओं को मारने की क्षमता रखते हैं बिना एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध के। निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स खाद्य सुरक्षा में सुधार और जन स्वास्थ्य की रक्षा करने की क्षमता रखते हैं।
अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर गिरीश राजशेखर ने बताया, "इन रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स में एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प बनने की क्षमता है और ये एंटीबायोटिक प्रतिरोध को कम करने में मदद कर सकते हैं।" शोध में यह भी पाया गया है कि ये पेप्टाइड्स न केवल साल्मोनेला जैसे खतरनाक जीवाणुओं को नष्ट करते हैं, बल्कि ई. कोलाई सहित अन्य रोगजनकों पर भी प्रभावी हैं।
साल्मोनेला अमेरिका में खाद्य जनित बीमारियों के प्रमुख कारणों में से एक है, और मुर्गियों और उनके उत्पादों जैसे अंडे और मांस इसका मुख्य स्रोत हैं। इसलिए, वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में मुर्गियों में साल्मोनेला को नियंत्रित करने के लिए एंटीबायोटिक विकल्पों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया।
इस शोध को माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि पहचाने गए पेप्टाइड्स ने प्रयोगशाला परीक्षणों में साल्मोनेला के कई प्रकारों को नष्ट किया। मुर्गियों पर किए गए प्रयोगों में ये पेप्टाइड्स प्रभावी साबित हुए।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इन पेप्टाइड्स की जीवाणुरोधी क्षमता साल्मोनेला की कोशिका झिल्ली को क्षति पहुंचाने के कारण होती है। ये पेप्टाइड्स ऊष्मा और प्रोटीएज उपचार जैसी औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी सक्रिय रहते हैं, जिससे पोल्ट्री उद्योग में इनके व्यावहारिक उपयोग की संभावना बढ़ती है।
राजशेखर ने कहा, "हमने दो रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स की पहचान की है जो साल्मोनेला के कई प्रकारों को नष्ट करते हैं और मुर्गियों में इनके स्तर को कम करते हैं।" अगले चरण में शोधकर्ता इन पेप्टाइड्स का बड़े पैमाने पर परीक्षण करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि इन्हें मुर्गियों के पानी या चारे में कैसे जोड़ा जा सकता है, ये पेप्टाइड्स साल्मोनेला को किस तंत्र से मारते हैं, और इनके समान अन्य प्रभावी यौगिकों की पहचान कैसे की जा सकती है।