क्या सरकार ने हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर रोक लगाई?

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क्या सरकार ने हाई-डोज निमेसुलाइड दवाओं पर रोक लगाई?

सारांश

सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 100 मिलीग्राम से अधिक निमेसुलाइड वाली दवाओं के निर्माण पर रोक लगाई है। यह कदम स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उठाया गया है, ताकि लोगों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके। जानिए इस फैसले के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
  • सरकार ने तुरंत प्रभाव से रोक लगाई है।
  • कम मात्रा वाली दवाएं जारी रहेंगी।
  • बड़ी दवा कंपनियों पर आर्थिक असर कम होगा।
  • बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत निवेश बढ़ाने का लक्ष्य है।

नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकार ने दर्द और बुखार की दवाओं की उन सभी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है, जिनमें निमेसुलाइड 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा में होता है और जो तुरंत असर करने वाली (इमीडिएट-रिलीज) होती हैं।

यह दवा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 26ए के तहत प्रतिबंधित की गई है। यह फैसला ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) से सलाह लेने के बाद किया गया।

स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि 100 मिलीग्राम से ज्यादा निमेसुलाइड वाली दवाओं का इस्तेमाल इंसानों के लिए खतरे भरा हो सकता है, और इसके ज्यादा सुरक्षित विकल्प पहले से मौजूद हैं।

निमेसुलाइड एक नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा (एनएसएआईडी) है और दुनिया भर में इसके लिवर को नुकसान पहुंचाने और अन्य दुष्प्रभावों को लेकर चिंता जताई जाती रही है। यह कदम दवाओं की सुरक्षा को और सख्त करने और जोखिम वाली दवाओं को धीरे-धीरे हटाने की दिशा में उठाया गया है।

यह प्रतिबंध सिर्फ ज्यादा मात्रा वाली (हाई-डोज) दवाओं पर लागू होगा, जो इंसानों के लिए बनाई जाती हैं। कम मात्रा वाली दवाएं और अन्य इलाज के विकल्प जारी रहेंगे।

अधिसूचना में कहा गया है कि जो दवा कंपनियां निमेसुलाइड वाली दवाएं बेचती हैं, उन्हें उत्पादन बंद करना होगा और बाजार में मौजूद प्रभावित बैच वापस मंगाने होंगे।

वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि बड़ी दवा कंपनियों पर इसका ज्यादा आर्थिक असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि कुल एनएसएआईडी बिक्री में निमेसुलाइड का हिस्सा कम है। हालांकि, जिन छोटी कंपनियों की कमाई इस दवा पर ज्यादा निर्भर है, उन्हें नुकसान हो सकता है।

भारत पहले भी धारा 26ए का इस्तेमाल करके कई खतरनाक दवाओं और फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन पर रोक लगा चुका है, ताकि लोगों की सेहत सुरक्षित रखी जा सके।

सरकार के अनुसार, सितंबर 2025 तक पिछले साढ़े तीन साल में बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत 4,763.34 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है, ताकि देश में दवाओं के कच्चे माल का उत्पादन बढ़ाया जा सके।

सरकार ने बताया कि यह उपलब्धि छह साल में 4,329.95 करोड़ रुपए के निवेश के लक्ष्य के मुकाबले हासिल की गई है, जो नए (ग्रीनफील्ड) प्रोजेक्ट्स के लिए तय किया गया था।

बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य जरूरी दवाओं में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (एपीआई) की सप्लाई में रुकावट से बचना है। यह योजना किसी एक देश या स्रोत पर ज्यादा निर्भरता कम करने के लिए बनाई गई है। इस योजना का कुल बजट 6,940 करोड़ रुपए है।

Point of View

जिससे लोगों को खतरनाक दवाओं से बचाया जा सके। ऐसे कदमों से हमारी स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी।
NationPress
31/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या निमेसुलाइड का उपयोग सुरक्षित है?
100 मिलीग्राम से अधिक निमेसुलाइड का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
सरकार ने यह निर्णय क्यों लिया?
सरकार ने दवाओं की सुरक्षा को बढ़ाने और जोखिम वाली दवाओं को हटाने के लिए यह कदम उठाया है।
क्या छोटे दवा कंपनियों पर इसका असर पड़ेगा?
हां, जिन छोटी कंपनियों की कमाई इस दवा पर निर्भर है, उन्हें नुकसान हो सकता है।
क्या अन्य दवाएं जारी रहेंगी?
हां, कम मात्रा वाली दवाएं और अन्य इलाज के विकल्प जारी रहेंगे।
सरकार का बल्क ड्रग पार्क योजना क्या है?
यह योजना दवाओं के कच्चे माल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बनाई गई है।
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