क्या 50 फीसदी भारतीय हेल्दी एजिंग की योजना बना रहे हैं, जबकि 71 प्रतिशत टेक का इस्तेमाल कर रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- 50 प्रतिशत भारतीय हेल्दी एजिंग की योजना बना रहे हैं।
- 71 प्रतिशत लोग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।
- भारत में लोग प्राकृतिक उपचारों को अपनाने में अग्रणी हैं।
- डिजिटल-फर्स्ट मानसिकता भारत को हेल्दी एजिंग की ओर प्रेरित कर रही है।
- भारत में 25 प्रतिशत लोग एआई-संचालित स्वास्थ्य उपकरणों को अपना रहे हैं।
नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मंगलवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत भारतीय हेल्दी एजिंग की योजना बना रहे हैं, जबकि 71 प्रतिशत लोग लंबे समय तक सक्रिय रहने के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि विश्व की बड़ी आबादी वृद्ध हो रही है, लेकिन इनमें से केवल 12 प्रतिशत लोग ही हेल्दी एजिंग के अनुसार अपने जीवनशैली की योजना बना रहे हैं।
सर्वेक्षण में शामिल देशों में भारत पहले स्थान पर है, जो एक अच्छी बात है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय लोग लंबी उम्र की इच्छा रखते हैं और स्वस्थ रहने के लिए सकारात्मक कदम उठा रहे हैं।
इस सर्वे में 19 देशों के 9,350 लोगों को शामिल किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लंबी उम्र की चाह रखने वाले भारतीय विशेष रूप से प्राकृतिक उपचारों, हेल्थ ट्रैकर्स और एआई-सपोर्टेड सॉल्यूशंस को अपनाने में अग्रणी हैं।
बीसीजी की प्रबंध निदेशक और मार्केटिंग, सेल्स और प्राइसिंग प्रैक्टिस (एमएसपी) की इंडिया लीड, पारुल बजाज ने कहा, "दीर्घायु होने का विज्ञान तेजी से विकसित हो रहा है, लेकिन हमारे शोध से पता चलता है कि विश्व में केवल 12 प्रतिशत लोग ही हेल्दी एजिंग का सक्रिय रूप से पालन कर रहे हैं। हालाँकि, भारत में, हम एक अद्वितीय स्थिति देखते हैं - यहाँ के उपभोक्ता डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशंस को तेजी से अपना रहे हैं। लगभग 70 प्रतिशत उपभोक्ता पहनने योग्य उपकरण, ऐप्स और तकनीक-आधारित उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, और हर चार में से एक उपभोक्ता पहले से ही एआई-संचालित स्वास्थ्य एजेंटों से संपर्क कर रहा है।"
बजाज ने आगे कहा, "डिजिटल-फर्स्ट मानसिकता भारत को हेल्दी एजिंग की ओर प्रेरित कर रही है, यद्यपि चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। लॉन्गेविटी पैराडॉक्स हमें याद दिलाता है कि लंबी उम्र का मतलब सिर्फ उम्र बढ़ाना नहीं, बल्कि उन वृद्धावस्था को उद्देश्यपूर्ण, जीवंत और स्वतंत्र रूप से जीना है - और जिस तरह से भारत तकनीक को अपना रहा है, उससे यह कहा जा सकता है कि भविष्य में हेल्दी एजिंग इनोवेशन्स के परीक्षण स्थल के रूप में दुनिया की नजरें हमारी ओर होंगी।"
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत 25 प्रतिशत एआई-संचालित स्वास्थ्य उपकरणों को अपनाने में अग्रणी है।
यह देश 32 प्रतिशत के साथ, पहनने योग्य उपकरणों और ट्रैकर्स को अपनाने में शीर्ष तीन देशों में भी शामिल है।
वैश्विक औसत 55 प्रतिशत की तुलना में, भारत में 71 प्रतिशत लोगों ने कम से कम एक तकनीक के इस्तेमाल की बात स्वीकार की है।
भारत में 25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कुछ अस्वस्थ विकल्पों को स्वस्थ या बहुत स्वस्थ बताया है, जो वैश्विक औसत से 5-7 प्रतिशत अधिक है।
भारतीय उपभोक्ताओं को गोपनीयता संबंधी चिंताओं से भी कम प्रभावित पाया गया है, जिससे वे डिजिटल-फर्स्ट स्वास्थ्य जुड़ाव के प्रति अधिक खुले हैं। हालाँकि, निम्न-आय वर्ग के लिए सामर्थ्य और सुलभता अभी भी महत्वपूर्ण बाधाएं बनी हुई हैं।