क्या विश्व स्ट्रोक दिवस पर नितिन कामथ ने 'गोल्डन 4.5 आवर' के महत्व को साझा किया?

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क्या विश्व स्ट्रोक दिवस पर नितिन कामथ ने 'गोल्डन 4.5 आवर' के महत्व को साझा किया?

सारांश

हर साल 29 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व स्ट्रोक दिवस पर नितिन कामथ ने बताया कि गोल्डन 4.5 आवर की समय सीमा के भीतर इलाज से जीवन को बचाने की संभावना बढ़ जाती है। यह दिवस हमें स्ट्रोक के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

Key Takeaways

  • स्ट्रोक के समय हर मिनट कीमती है।
  • 4.5 घंटे के भीतर इलाज जरूरी है।
  • स्ट्रोक के लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
  • 80 प्रतिशत स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
  • समय पर चिकित्सा सहायता लें।

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को स्ट्रोक के प्रति जागरूक किया जा सके। जेरोधा के सह-संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ ने बुधवार को कहा कि स्ट्रोक के समय हर मिनट कीमती होता है।

उन्होंने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को स्ट्रोक हो जाए, तो 4.5 घंटे के भीतर तुरंत इलाज करवाना आवश्यक है। अपने मस्तिष्क संबंधी समस्या के अनुभव के आधार पर उन्होंने लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में खून का प्रवाह रुक जाता है। इस दौरान मस्तिष्क की कोशिकाएं हर सेकंड नष्ट होती जाती हैं, इसलिए समय पर इलाज और दवा लेना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे जीवन को बचाया जा सकता है और स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है।

पिछले साल स्ट्रोक से उबर चुके नितिन कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि अगर स्ट्रोक के 4.5 घंटे के भीतर इलाज किया जाए, जिसे ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है, तो मरीज की स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर समय पर इलाज न मिले, तो मस्तिष्क को स्थायी नुकसान हो सकता है और दिव्यांगता का खतरा बढ़ जाता है।

कामथ ने कहा कि कई लोग स्ट्रोक के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, यह सोचकर कि वे स्वस्थ हैं और उन्हें कुछ नहीं होगा।

उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “जब मुझे स्ट्रोक आया था, तो अगर कोई एक चीज है जो मैं अलग तरीके से करना चाहता, तो वह यह होती कि मैं उसे सोकर ठीक करने की बजाय, 'गोल्डन आवर' (साढ़े चार घंटे के अंदर) तुरंत अस्पताल जाता।”

कामथ ने बताया कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़े हैं।

कामथ ने कहा, “सच्चाई यह है कि स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में कुल स्ट्रोक मामलों में से लगभग 30 प्रतिशत मरीज 30 से 50 साल की उम्र के हैं।”

उन्होंने कहा, “स्ट्रोक के मामले में समय का महत्व सबसे अधिक है, हर मिनट कीमती है।”

लगभग 80 प्रतिशत स्ट्रोक को सरल और लगातार उपायों से रोका जा सकता है। इनमें शामिल हैं: रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित रखना, तंबाकू और शराब से बचना, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना।

कोलकाता के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दीप दास के अनुसार, स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना पहला कदम है, और इसे ‘बीई फास्ट’ के तरीके से आसानी से याद रखा जा सकता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि स्ट्रोक की घटनाएं बढ़ रही हैं, और समय पर चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत आवश्यक है। हमें इस विषय पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि लोग लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर इलाज करवाएं।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में खून का प्रवाह रुक जाता है।
गोल्डन 4.5 आवर का क्या महत्व है?
अगर स्ट्रोक के 4.5 घंटे के भीतर इलाज किया जाए, तो मरीज की स्थिति को बेहतर ढंग से संभाला जा सकता है।
स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?
स्ट्रोक के लक्षणों में अचानक कमजोरी, बोलने में कठिनाई, और संतुलन खोना शामिल हैं।
स्ट्रोक से कैसे बचा जा सकता है?
स्ट्रोक से बचने के लिए रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित रखना, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करना आवश्यक है।
क्या उम्र से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है?
जी हाँ, 50 साल से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।