क्या 'आईईआर' मोटापे और डायबिटीज़ में राहत दे सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- आईईआर और टीआरई डाइट प्लान मोटापे और डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी हैं।
- शोध में आईईआर को सबसे अधिक लाभकारी पाया गया।
- अध्ययन में 90 मरीज शामिल थे और इसकी निगरानी एक डाइटिशियन की टीम ने की।
- आईईआर के पालन की दर अन्य डाइट्स की तुलना में अधिक थी।
- डायबिटीज और मोटापे के लिए खानपान में बदलाव करना संभव है।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक नवीनतम अध्ययन में यह सिद्ध हुआ है कि विभिन्न प्रकार के डाइट प्लान, जैसे इंटरमिटेंट एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (आईईआर), टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (टीआरई), और कंटीन्यूअस एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (सीईआर), मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकते हैं। ये सभी डाइट प्लान ब्लड शुगर के स्तर में सुधार लाने और शरीर के वजन को घटाने में सहायक होते हैं।
इंटरमिटेंट एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (आईईआर) का अर्थ कभी-कभी खाने की मात्रा को सीमित करना है, जैसे हफ्ते में कुछ दिनों में कम कैलोरी लेना। वहीं टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (टीआरई) का मतलब एक निश्चित समय सीमा के अंदर भोजन करना है, जैसे दिन में केवल 8 घंटे के भीतर खाना और बाकी समय उपवास रहना। इसके अलावा, कंटीन्यूअस एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (सीईआर) का तात्पर्य हर दिन थोड़ी-थोड़ी कैलोरी कम खाने से है।
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि तीनों डाइट प्लान ने एचबीए1सी में सुधार किया और साइड इफेक्ट्स तीनों समूहों में लगभग समान थे। लेकिन आईईआर समूह को कुछ अतिरिक्त लाभ मिले, जैसे फास्टिंग ब्लड ग्लूकोस में कमी, इंसुलिन का प्रभाव बेहतर हुआ, ट्राइग्लिसराइड्स में गिरावट आई और लोग इस डाइट को लंबे समय तक अच्छी तरह से पालन कर सके।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह देखा कि 5:2 आईईआर और 10 घंटे की टीआरई वाली डाइट में से कौन-सी डाइट मोटापे और डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा लाभकारी है।
चीन के झेंगझोऊ विश्वविद्यालय के प्रमुख चिकित्सक, पीएचडी, हाओहाओ झांग ने कहा, "इस अध्ययन में वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं, जिससे यह तय करने में मदद मिलेगी कि डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए कौन-सी डाइट सबसे उपयुक्त होगी।"
इस अध्ययन में 90 मरीजों को शामिल किया गया, जिन्हें तीन समान समूहों में बांटा गया- आईईआर, टीआरई, और सीईआर। प्रत्येक समूह को समान मात्रा में कैलोरी दी गई।
इस 16 हफ्तों की डाइट की निगरानी एक डाइटिशियन की टीम ने बारीकी से की, ताकि सभी सही तरीके से डाइट का पालन करें।
90 लोगों में से 63 लोगों ने इस अध्ययन को पूरा किया। इनमें से 18 महिलाएं और 45 पुरुष थे। सभी की औसत उम्र 36.8 वर्ष थी। उन्हें डायबिटीज को लगभग 1.5 वर्ष हो चुके थे, और उनका प्रारंभिक बीएमआई 31.7 था, जो मोटापे की श्रेणी में आता है। वहीं, एचबीए1सी 7.42 प्रतिशत था। यह ब्लड शुगर नियंत्रण का एक माप है और यह सामान्य से थोड़ा अधिक है।
अध्ययन समाप्त होने पर, तीनों डाइट समूहों, आईईआर, टीआरई, और सीईआर, में एचबीए1सी और वजन कम होने में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं था। लेकिन फिर भी आईईआर समूह में एचबीए1सी और वजन में सबसे ज्यादा कमी देखी गई।
जब आईईआर की तुलना टीआरई और सीईआर से की गई, तो आईईआर ने फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स को ज्यादा कम किया। इस डाइट ने शरीर में इंसुलिन के काम करने की क्षमता को भी बेहतर बनाया। लेकिन तीनों समूहों में यूरिक एसिड और लीवर एंजाइम्स में कोई खास बदलाव नहीं हुआ।
आईईआर और टीआरई समूह में 2 मरीजों को और सीईआर समूह में 3 मरीजों को हल्का हाइपोग्लाइसीमिया हुआ। यानी ब्लड शुगर थोड़ा ज्यादा नीचे चला गया, लेकिन यह समस्या हल्की थी।
आईईआर और सीईआर समूह की डाइट का पालन करने की दर टीआरई समूह की तुलना में काफी बेहतर थी।
आईईआर समूह के 85 प्रतिशत लोग अपनी डाइट को सही तरीके से फॉलो कर पाए। सीईआर समूह में 84 प्रतिशत लोगों ने डाइट ठीक से निभाई। टीआरई समूह में 78 प्रतिशत लोगों ने डाइट का पालन किया।
डॉ. झांग ने कहा कि ये नतीजे बताते हैं कि मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए खानपान में बदलाव करना संभव है और यह प्रभावी भी है।