क्या आईआईटी बॉम्बे की रिसर्च ने शरीर में कॉलेजन प्रोटीन के डायबिटीज पर प्रभाव का खुलासा किया?

सारांश
Key Takeaways
- कॉलेजन प्रोटीन का विशेष परिवर्तन डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
- पैंक्रियास में हॉर्मोन्स का संचय डायबिटीज को बढ़ाता है।
- स्वस्थ जीवनशैली डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने हाल ही में डायबिटीज से संबंधित एक महत्वपूर्ण खोज की है। उन्होंने पहचान की है कि शरीर में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन 'कॉलेजन' एक विशेष परिवर्तन के कारण डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है।
जर्नल ऑफ द अमेरिकन केमिकल सोसाइटी में प्रकाशित इस अध्ययन में यह पाया गया कि कॉलेजन पैंक्रियास के हॉर्मोन्स को तेजी से एकत्रित करता है, जिससे उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जो विश्वभर में 500 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। हमारे शरीर में इंसुलिन नाम का एक हार्मोन होता है, जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। टाइप 2 डायबिटीज में या तो इंसुलिन का निर्माण ठीक से नहीं होता या हमारे शरीर की कोशिकाएं इसे ठीक से पहचान नहीं पातीं। इस स्थिति में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
जब रक्त शर्करा का स्तर बढ़ता है, तो शरीर अधिक इंसुलिन बनाने की कोशिश करता है, ताकि शर्करा को संतुलित किया जा सके। इसी समय, शरीर एक और हार्मोन बनाता है, जिसे 'ऐमिलिन' कहा जाता है। यह भी भोजन के बाद रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
वैज्ञानिकों ने पाया कि हमारे शरीर में एक विशेष प्रोटीन होता है, जिसे 'फाइब्रिलर कॉलेजन 1' कहा जाता है। यह प्रोटीन हमारे शरीर की कोशिकाओं के बाहरी हिस्से में पाया जाता है।
आईआईटी बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शमिक सेन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने बताया कि जब ऐमिलिन हार्मोन सही तरीके से नहीं बनते, तो ये एक-दूसरे से चिपककर गुच्छे बना लेते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं के लिए हानिकारक साबित होते हैं।
बाहर से अधिक कॉलेजन के संचय के कारण, डायबिटीज में पैंक्रियास की टिशू में कॉलेजन-1 का स्तर बहुत बढ़ जाता है, जो स्थिति को और गंभीर बना सकता है।
जब ऐमिलिन हार्मोन एकत्रित होकर बीटा-कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, तो शरीर की इंसुलिन उत्पादन की क्षमता में कमी आती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा और बढ़ जाता है।