क्या वायु प्रदूषण और कार के धुएं से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- वायु प्रदूषण और डिमेंशिया के बीच एक गंभीर संबंध है।
- कार के धुएं से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ाता है।
- अध्ययन में 51 वैज्ञानिक अध्ययनों का विश्लेषण किया गया है।
- शहरी नियोजन और परिवहन नीति में सुधार की आवश्यकता है।
- वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक नवीनतम अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से कार के धुएं से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण, डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकता है।
द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर ५.७४ करोड़ लोग डिमेंशिया, जैसे कि अल्जाइमर, से प्रभावित हैं और २०५० तक यह संख्या १५.२८ करोड़ तक पहुँच सकती है।
अध्ययन ने यह पाया कि पीएम २.५ (२.५ माइक्रोन से छोटे कण) के हर १० माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि से डिमेंशिया का जोखिम १७ प्रतिशत बढ़ जाता है। वहीं, पीएम २.५ में मौजूद कालिख (सूट), जो कार के धुएं और लकड़ी जलाने से निकलती है, के प्रत्येक १ माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से जोखिम १३ प्रतिशत बढ़ जाता है।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉ. क्रिश्चियन ब्रेडेल ने कहा, “यह अध्ययन दिखाता है कि डिमेंशिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ शहरी नियोजन, परिवहन नीति और पर्यावरण नियमों की भी आवश्यकता है।”
वायु प्रदूषण मस्तिष्क में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (शरीर में रासायनिक प्रक्रिया जो कोशिकाओं, प्रोटीन और डीएनए को नुकसान पहुंचाती है) का कारण बनता है, जो डिमेंशिया की शुरुआत या इस समस्या को बढ़ाने में सहायक होता है।
एमआरसी एपिडेमियोलॉजी यूनिट की डॉ. हनीन खरेइस ने बताया, “वायु प्रदूषण को कम करने से स्वास्थ्य, सामाजिक, जलवायु और आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। यह मरीजों, उनके परिवारों और देखभाल करने वालों के बोझ को कम करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव को भी हल्का करेगा।”
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ५१ वैज्ञानिक अध्ययनों का विश्लेषण किया, जिसमें २.९ करोड़ से अधिक लोगों का डेटा शामिल था। ये अध्ययन मुख्य रूप से उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे उच्च आय वाले देशों से थे। ३४ अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण में पीएम २.५, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कालिख का डिमेंशिया से संबंध पाया गया।
शोध में यह भी सामने आया कि इन प्रदूषकों का प्रभाव वैस्कुलर डिमेंशिया पर ज्यादा गंभीर है, जो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम होने के कारण होता है। यह अध्ययन वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।