क्या अमेरिकी टैरिफ के चलते भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार में इस सप्ताह गिरावट आई है।
- निफ्टी 1.09% और सेंसेक्स 1.06% गिरा।
- अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- एफआईआई की बिकवाली में वृद्धि हुई है।
- एफएमसीजी शेयरों में तेजी आई है।
मुंबई, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय शेयर बाजार में इस सप्ताह गिरावट देखने को मिली। इस दौरान निफ्टी 271.65 अंक या 1.09 प्रतिशत गिरकर 24,565.35 पर और सेंसेक्स 863.18 अंक या 1.06 प्रतिशत की कमी के साथ 80,599.91 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने के कारण बाजार के सेंटीमेंट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे एफआईआई की बिकवाली भी बढ़ी है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, "इस सप्ताह बाजार सतर्क आशावाद और रक्षात्मक रुख के बीच एक दायरे में कारोबार कर रहा था, लेकिन एफआईआई के लगातार निकासी के कारण गिरावट के साथ बंद हुआ। वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, निवेशकों ने घरेलू संकेतों को प्राथमिकता दी है। वहीं, एफएमसीजी शेयर आकर्षक मूल्यांकन और बाहरी झटकों से सुरक्षा के कारण तेजी के साथ बंद हुए।"
एचयूएल, डाबर इंडिया और इमामी जैसी कंपनियों के पहले तिमाही के मजबूत नतीजों के बाद एफएमसीजी शेयरों में तेजी आई, जिससे निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स लगभग 1 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ। अमेरिकी ट्रे़ड टैरिफ को लेकर चिंताओं के बीच ऑटो, मेटल, आईटी और फार्मा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 2-3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
विश्लेषक मानते हैं कि अमेरिकी टैरिफ का भारतीय बाजारों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि मुख्य निर्यात रत्न एवं आभूषण, चमड़ा और वस्त्र जैसी पारंपरिक वस्तुएं हैं, जिनका सूचीबद्ध बाजार में बड़ा प्रतिनिधित्व नहीं है। उनका मानना है कि टैरिफ से जुड़ी ज्यादातर चिंताएं पहले ही सामने आ चुकी हैं, और इसमें भारी गिरावट की संभावना बेहद कम है।
इस सप्ताह के दौरान, तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के शेयरों में 5 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि कंपनी ने वित्त वर्ष 26 में लगभग 12,200 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की है।
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा कई देशों पर "रेसिप्रोकल" टैरिफ लागू करने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद, एशियाई, यूरोपीय और यूएस इंडेक्स फ्यूचर्स लगभग 1 प्रतिशत गिर गए। आदेश के मुताबिक, टैरिफ की दरें 10 प्रतिशत से 41 प्रतिशत तक होंगी और ये टैरिफ सात दिनों में लागू होंगे। इस कदम से अमेरिका में महंगाई और ग्लोबल अर्थव्यवस्था के धीमे होने की संभावना बढ़ गई है।