क्या इंसानों में मिला ऐसा जेनेटिक बदलाव, जो कैंसर का खतरा बढ़ाता है?

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क्या इंसानों में मिला ऐसा जेनेटिक बदलाव, जो कैंसर का खतरा बढ़ाता है?

सारांश

अमेरिका की एक शोध टीम ने एक महत्वपूर्ण आनुवंशिक बदलाव की खोज की है, जो इंसानों में कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। इस खोज से कैंसर के नए उपचार विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकता है। जानिए इस शोध के बारे में अधिक जानकारी।

Key Takeaways

  • इंसानों में एक आनुवंशिक बदलाव कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।
  • यह बदलाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।
  • अध्ययन से कैंसर के उपचार में नई दिशा मिल सकती है।

नई दिल्ली, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका की एक शोध टीम ने एक ऐसा आनुवंशिक बदलाव खोजा है, जो इंसानों में कैंसर का खतरा बढ़ाता है। यह परिवर्तन हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे कैंसर का विकास होता है। यह खोज अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वैज्ञानिकों को कैंसर के नए और प्रभावी उपचार विकसित करने में सहायता करेगी।

कैलिफोर्निया डेविस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि हमारे शरीर की कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएं (जो रोगों से लड़ने का कार्य करती हैं) सॉलिड ट्यूमर (गांठ वाले कैंसर) से लड़ने में उतनी प्रभावी नहीं होतीं, जितनी अन्य नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स (जैसे चिंपैंजी) की होती हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह सामने आया है कि इंसान और बंदरों जैसे जानवरों के बीच एक छोटा सा जेनेटिक अंतर होता है। यह अंतर फास लिगैंड (एफएएस-एल) नामक प्रतिरक्षा प्रोटीन में होता है। यह प्रोटीन हमारे शरीर की रक्षा करने वाली कोशिकाओं में उपस्थित होता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। इस छोटे से अंतर के कारण इंसानों की प्रतिरक्षा कोशिकाएं कैंसर के खिलाफ कम प्रभावी होती हैं।

इस जेनेटिक बदलाव में प्लास्मिन नामक एंजाइम 'एफएएस-एल' प्रोटीन को नुकसान पहुंचाता है, जिससे कमजोरी उत्पन्न होती है।

मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जोगेंद्र तुशीर सिंह ने कहा, "'एफएएस-एल' प्रोटीन का परिवर्तन इंसानों के मस्तिष्क की सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाता है, लेकिन कैंसर के मामले में यह हानिकारक साबित हुआ है। इस परिवर्तन के कारण कुछ ट्यूमर हमारी रक्षा प्रणाली को कमजोर कर देते हैं, जिससे हमारे शरीर की लड़ाई की शक्ति कम हो जाती है।"

यूसी डेविस टीम ने यह पाया है कि इंसानों के जीन में 'एफएएस-एल' प्रोटीन के एक छोटे से हिस्से पर एक विशेष बदलाव हुआ है। यहां प्रोटीन में एक अमीनो एसिड प्रोलाइन की जगह सेरीन आ गया है। इस छोटे से परिवर्तन के कारण 'एफएएस-एल' प्रोटीन प्लास्मिन नामक एंजाइम से अधिक आसानी से कट जाता है और कार्य करना बंद कर देता है। इसलिए 'एफएएस-एल' कमजोर हो जाता है और इम्यून सिस्टम सही से काम नहीं कर पाता।

प्लास्मिन एक विशिष्ट एंजाइम होता है, जिसे प्रोटीज एंजाइम कहा जाता है। यह एंजाइम ट्यूमर की सहायता करता है और कैंसर को अधिक खतरनाक बना सकता है।

तुशीर-सिंह ने कहा, "इंसानों में चिंपैंजी और अन्य प्राइमेट्स की तुलना में कैंसर की दर काफी अधिक है। बहुत कुछ ऐसा है जो हम नहीं जानते और हम अभी भी प्राइमेट्स से सीख सकते हैं और इंसानी कैंसर इम्यूनोथेरेपी को बेहतर बनाने के लिए इसे लागू कर सकते हैं।"

Point of View

जो कैंसर की दर को प्रभावित कर सकता है, हमारे स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। यह हमारे वैज्ञानिक अनुसंधान में एक नई दिशा प्रदान करता है, जो कैंसर के उपचार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

यह आनुवंशिक बदलाव क्या है?
यह एक ऐसा बदलाव है जो इंसानों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं में होता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
इस खोज का महत्व क्या है?
इस खोज से वैज्ञानिकों को कैंसर के नए और प्रभावी उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी।
यह बदलाव किन कोशिकाओं को प्रभावित करता है?
यह बदलाव इंसानों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे उनकी कैंसर से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।