क्या इसरो-नासा का संयुक्त उपग्रह 30 जुलाई को लॉन्च होगा, आपदा प्रबंधन में मददगार?

सारांश
Key Takeaways
- इसरो और नासा का संयुक्त उपग्रह 30 जुलाई को लॉन्च होगा।
- यह उपग्रह 740 किमी की ऊंचाई पर स्थापित होगा।
- भूस्खलन और आपदा प्रबंधन में मदद करेगा।
- आदित्य एल1 मिशन की भी जानकारी साझा की गई।
- मानव मिशन के लिए मार्च 2027 में योजना है।
चेन्नई, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि 30 जुलाई को इसरो और नासा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में प्रक्षिप्त किया जाएगा।
यह उपग्रह 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होगा। यह एक अत्याधुनिक रडार उपग्रह है, जो बादलों और बारिश के बावजूद 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह उपग्रह भूस्खलन, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में सहायता करेगा।
नारायणन ने कहा कि यह उपग्रह न केवल भारत और अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने आदित्य एल1 मिशन के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा, "26 जनवरी को 1.5 किलोग्राम वजन के साथ लॉन्च किया गया यह उपग्रह सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया था। इसरो को सूर्य से संबंधित डेटा प्राप्त हो चुका है, जिसका वैज्ञानिक विश्लेषण चल रहा है।" नारायणन ने यह भी बताया कि इसरो केवल तमिलनाडु, केरल या उत्तरी राज्यों के लिए अलग-अलग काम नहीं करता, बल्कि पूरे देश की जरूरतों के लिए अनुसंधान करता है।
मानव मिशन की तैयारियों के बारे में बात करते हुए, नारायणन ने कहा, "इस साल दिसंबर में एक मानवरहित मिशन भेजा जाएगा। अगर यह सफल रहा, तो अगले वर्ष दो और मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित योजना के अनुसार, मार्च 2027 में मानवयुक्त मिशन लॉन्च किया जाएगा। इसरो इसके लिए श्रीहरिकोटा में पहला वाहन तैयार कर रहा है।"
नारायणन ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए भी उत्साह व्यक्त किया। यह मिशन चंद्रमा पर उतरकर वहां से नमूने लाने के लिए है, और इसे सफल बनाने के लिए इसरो पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, चंद्रयान-5 भारत और जापान का संयुक्त प्रोजेक्ट होगा, जो 100 दिनों तक कार्य करेगा। इसरो वर्तमान में 55 उपग्रहों का उपयोग कर रहा है और इन्हें अगले चार वर्षों में तीन हिस्सों में बांटने की योजना है।
नारायणन ने कहा कि इसरो के ये मिशन भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ती ताकत को प्रदर्शित करते हैं। ये परियोजनाएं न केवल भारत, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी।