क्या 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई योजना है?

सारांश
Key Takeaways
- केंद्र सरकार ने जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं बनाई है।
- कर्नाटक में व्यापारियों को जीएसटी नोटिस मिले हैं।
- जीएसटी दरें जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर निर्भर करती हैं।
- राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रही है।
- जीएसटी के अंतर्गत सीजीएसटी और एसजीएसटी दो घटक हैं।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि 2,000 रुपए से अधिक के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) आधारित लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का कोई इरादा नहीं है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि "जीएसटी परिषद ने 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लागू करने की कोई सिफारिश नहीं की है।"
जब मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकार इस विषय पर विचार कर रही है, तो उन्होंने कहा कि जीएसटी दरें और छूट जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर निर्भर करती हैं।
यह जानकारी कर्नाटक के व्यापारियों को यूपीआई लेनदेन के आंकड़ों के आधार पर जीएसटी मांग नोटिस मिलने के बाद आई है।
केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि कर्नाटक में छोटे व्यापारियों को जारी किए गए जीएसटी नोटिस राज्य सरकार द्वारा हैं, केंद्र सरकार की ओर से नहीं।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के इस दावे पर कि कर नोटिस में राज्य की कोई भूमिका नहीं है, जोशी ने इसे हास्यास्पद करार दिया।
उन्होंने कहा, "कर्नाटक के वाणिज्यिक कर अधिकारियों ने छोटे व्यापारियों को जीएसटी नोटिस जारी किए हैं। लेकिन राज्य सरकार अब यह दिखावा कर रही है कि इसमें उसकी कोई संलिप्तता नहीं है। यह जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है।"
जोशी ने सवाल उठाया, "अगर जीएसटी नोटिस केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए होते, तो अन्य राज्यों के व्यापारियों को भी मिलते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये नोटिस केवल कर्नाटक में ही क्यों भेजे जा रहे हैं?"
उन्होंने स्पष्ट किया कि जीएसटी के अंतर्गत सीजीएसटी (केंद्रीय जीएसटी) और एसजीएसटी (राज्य जीएसटी) दो घटक हैं। कर्नाटक के छोटे व्यापारियों को नोटिस राज्य के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी किए गए हैं।