क्या भारत की कोलोकेशन और क्लाउड सेवाएँ 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए आधार बन रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
- डेटा सेंटर और क्लाउड सेवाएँ इसकी रीढ़ हैं।
- आर्थिक निवेश में वृद्धि हो रही है।
- मांग सप्लाई से अधिक है।
- अदाणी, एनएक्सटीआरए, और सिफी प्रमुख खिलाड़ी बन सकते हैं।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में कोलोकेशन और क्लाउड सर्विस सेगमेंट देश की 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आधार तैयार कर रहे हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा सेंटर और क्लाउड प्लेटफार्म हमारी तेजी से विकसित होती डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रहे हैं, जो कि वित्त वर्ष 2030 तक 1,460 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
एक पूर्ण-सेवा निवेश बैंकिंग फर्म इक्विरस कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एंटरप्राइज, हाइपरस्केलर्स और सरकार की डिजिटल वृद्धि को सशक्त बनाते हुए कोलोकेशन और क्लाउड सुरक्षित और स्केलेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव हार्डवेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर, डेटा सेंटर और हाइपरस्केलर लेयर होंगे, जिसमें हार्डवेयर का ध्यान सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर होगा और डेटा सेंटर का ध्यान फिजिकल और क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर पर।
अतिरिक्त रूप से, एआई मॉडल के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाली फाउंडेशनल मॉडल लेयर और वास्तविक दुनिया के एआई अपनाने पर ध्यान देने वाली एप्लीकेशन लेयर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बड़े निवेशों के चलते डेटा सेंटर की क्षमता में विस्तार की संभावना है, फिर भी मांग सप्लाई से अधिक है।
कैपेक्स 175 बिलियन रुपए से बढ़कर 575 बिलियन रुपए होने की संभावना है, जिससे 2024 से 2030 तक 23 प्रतिशत की सीएजीआर दर्ज होगी।
इतनी अधिक डेटा सेंटर की सप्लाई के बावजूद, मांग सप्लाई से अधिक हो सकती है।
पिछले वर्ष सप्लाई 75 मेगावाट से बढ़कर 114 मेगावाट हो गई, जो कि लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि है, जबकि मांग 81 मेगावाट से बढ़कर 122 मेगावाट हो गई, जो 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के डेटा सेंटर और क्लाउड कंप्यूटिंग मार्केट में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं: डेटा खपत में वृद्धि, एंटरप्राइज क्लाउड अपनाने, नीति और नियामक समर्थन तथा एआई और उभरती टेक्नोलॉजी कार्यभार।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अदाणी, एनएक्सटीआरए और सिफी डेटा सेंटर उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर सकते हैं। मौजूदा 1.3 गीगावाट क्षमता में 1.6 गीगावाट से अधिक की क्षमता जोड़ी जाएगी, जिसमें अदाणी कनेक्ट्स, नेक्स्ट्रा और योट्टा लगभग 860 मेगावाट की क्षमता जोड़ेंगे।