क्या ऑर्गन ट्रांसप्लांट को सुलभ बनाने के लिए पॉलिसी में सुधार जरूरी है?

सारांश
Key Takeaways
- नीतिगत सुधार आवश्यक हैं।
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट की आवश्यकता बढ़ रही है।
- वंचित वर्गों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराना चाहिए।
- राष्ट्रीय रजिस्ट्रियों का निर्माण आवश्यक है।
- इनोवेशन को सुलभ बनाना जरूरी है।
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत सहित वैश्विक शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसी महत्वपूर्ण जीवनरक्षक सेवाओं को गरीब और वंचित वर्गों तक पहुँचाने के लिए नीतिगत सुधार अत्यधिक आवश्यक हैं। द लैंसेट की एक विशेष श्रृंखला में प्रकाशित इस शोध में निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में ऑर्गन ट्रांसप्लांट को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है।
जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. विवेकानंद झा ने कहा, "हमें ऐसी नीतियों का निर्माण करना होगा जो सभी के लिए इनोवेशन को सुलभ बनाएं, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।"
शोध में बताया गया है कि ऑर्गन प्रिजर्वेशन और इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं में सुधार ने वैश्विक स्तर पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को बेहतर बनाया है। फिर भी, वंचित समुदायों के लिए यह सुविधा उपलब्ध करवाना अब भी एक चुनौती बनी हुई है। भारत में कई ट्रांसप्लांट केंद्र होने के बावजूद, फंडिंग और प्राथमिकता की कमी समस्याएं उत्पन्न करती है।
भारत में हर वर्ष लगभग १७ से १८ हजार लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाते हैं, जो कि अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरे स्थान पर है। हालाँकि, प्रति मिलियन जनसंख्या पर प्रत्यारोपण दर केवल ०.६५ है, जो कि अमेरिका (२१.९), स्पेन (३५.१) जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है।
भारत में अधिकांश ट्रांसप्लांट प्राइवेट अस्पतालों में होते हैं, जो केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित हैं। कई राज्यों में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन प्रत्यारोपण की लागत को कवर करने वाली राष्ट्रीय नीति का अभाव है।
शोध में यह सुझाव दिया गया है कि भारत को एक नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री का निर्माण करना चाहिए, जो पहुँच में अंतर को ट्रैक करे। साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र में ट्रांसप्लांट सेवाओं को सुदृढ़ करने, राष्ट्रीय बीमा नीतियों के माध्यम से मरीजों और दाताओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने, ट्रांसप्लांट पात्रता और ऑर्गन आवंटन के मानकों को समान बनाने, और सस्ती दवाओं एवं टेलीमेडिसिन के जरिए बाद की देखभाल को सुधारने की आवश्यकता है।
डॉ. झा ने कहा, "भारत में ट्रांसप्लांट की क्षमता को बढ़ाने की संभावनाएँ हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सुविधा हर भारतीय तक पहुँच सके, चाहे वह कहीं भी निवास करता हो या उसकी आय कितनी भी हो।"