क्या पाकिस्तान छोड़कर जा रही हैं दिग्गज कंपनियां? बढ़ता आतंकवाद और भ्रष्टाचार है वजह: रिपोर्ट

सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान में कंपनियों का पलायन बढ़ रहा है।
- आतंकवाद और भ्रष्टाचार प्रमुख कारक हैं।
- विश्लेषक इसे वैश्विक रणनीति का हिस्सा मानते हैं।
- नई कंपनियां स्वामित्व परिवर्तन के जरिए आ रही हैं।
- पाकिस्तान के कारोबारी माहौल में अविश्वास बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, ६ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कंगाल पाकिस्तान को लगातार झटके लग रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां अब पाकिस्तान से अपना बिजनेस समेटकर बाहर निकल रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बाहर जाने को लेकर चिंता गहराई है। भ्रष्टाचार, आतंकवाद और नियामक बाधाएं इन कंपनियों के लिए देश में काम करना कठिन बना रही हैं।
पाकिस्तान मीडिया डॉन की एक रिपोर्ट में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के देश छोड़ने का उल्लेख किया गया है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहां २४ करोड़ से ज्यादा लोग निवास करते हैं, इसके बावजूद ये कंपनियां देश छोड़ रही हैं।
दिग्गज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एक महीने पहले पाकिस्तान में अपनी दुकान बंद कर दी। इसके बाद यामाहा और हाल ही में प्रॉक्टर एंड गैंबल भी पाकिस्तान से निकल गई हैं। इसके अलावा शेल (एलएनजी की ओर वैश्विक झुकाव के तहत खुदरा ईंधन से बाहर निकलना), उबर और फाइजर ने भी पाकिस्तान को अलविदा कह दिया।
इनका मुख्य कारण आर्थिक अस्थिरता, अनियंत्रित मुद्रास्फीति, मुद्रा अवमूल्यन, नीतिगत अराजकता और सुरक्षा संबंधी मुद्दों जैसी व्यापक चिंताएं हैं। प्रमुख वैश्विक वित्तीय विशेषज्ञ यूसुफ नजर के अनुसार, इसका मुख्य कारण बाजार की दीर्घकालिक क्षमता का आकलन है।
विश्लेषकों का कहना है कि कुछ कंपनियों का बाहर जाना वैश्विक रणनीतियों का हिस्सा है। कुछ कंपनियां बेहतर आर्थिक पैमाने के लिए दुबई या सिंगापुर जैसे क्षेत्रीय केंद्रों में स्थानांतरित हो सकती हैं। ये फैसले अभी भी पाकिस्तान के कारोबारी माहौल में "अविश्वास प्रस्ताव" को दर्शाते हैं, जहां भारी कर मुनाफे को कम करते हैं और मुनाफे की वापसी में बाधा डालते हैं।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस प्रवृत्ति में सीधे पलायन के बजाय स्वामित्व परिवर्तन शामिल है, जिसमें सऊदी अरामको, गनवोर ग्रुप और बैरिक गोल्ड जैसे नए प्रवेशकर्ता अंतराल को भरने के लिए आगे आ रहे हैं।
-- राष्ट्र प्रेस
केके/डीएससी