क्या ट्रंप के टैरिफ ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह काम किया, महंगाई बढ़ाई?

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क्या ट्रंप के टैरिफ ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह काम किया, महंगाई बढ़ाई?

सारांश

आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों की गंभीर आलोचना की है। उन्होंने बताया है कि ये टैरिफ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह असर डालते हैं और महंगाई को बढ़ाते हैं, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं होता। जानें इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है।

Key Takeaways

  • ट्रंप के टैरिफ ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स जैसा असर डाला है।
  • महंगाई में वृद्धि हुई है, खासकर घरेलू उत्पादों की कीमतों में।
  • व्यापार संतुलन में कोई सुधार नहीं हुआ है।
  • अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया।
  • टैरिफ का प्रभाव अमेरिकी कंपनियों पर भी पड़ता है।

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बुधवार को स्पष्ट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों ने अमेरिकी उपभोक्ताओं पर टैक्स जैसा प्रभाव डाला है, जिससे महंगाई बढ़ी है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

गोपीनाथ ने ट्रंप के लिबरेशन डे टैरिफ की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पिछले छह महीनों में परिणाम नकारात्मक रहे हैं।

ट्रंप ने 2 अप्रैल को लिबरेशन डे की घोषणा की, जब उन्होंने टैरिफ बढ़ाने की योजना का ऐलान किया था।

उन्होंने अमेरिकी व्यापार घाटे के संदर्भ में नेशनल इमरजेंसी की घोषणा की और विदेशी आयातों पर व्यापक टैरिफ लागू करने के लिए इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (आईईईपीए) का सहारा लिया।

उनका लक्ष्य दशकों से चली आ रही अनुचित व्यापार बाधाओं को समाप्त करना था, जिससे अमेरिकी उत्पादकों को नुकसान हो रहा था।

हालांकि, गोपीनाथ ने कहा कि ट्रंप के दावों के विपरीत, पिछले छह महीनों में टैरिफ के परिणामस्वरूप न तो व्यापार संतुलन में सुधार हुआ और न ही अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं हुआ।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में गोपीनाथ ने लिखा, "लिबरेशन डे टैरिफ लागू हुए 6 महीने हो गए हैं। अमेरिकी टैरिफ से क्या हासिल हुआ है?"

उन्होंने सवाल उठाया, "क्या इससे सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई? हां, लेकिन यह मुख्यतः अमेरिकी कंपनियों द्वारा वहन किया गया और कुछ अमेरिकी उपभोक्ताओं पर इसे डाला गया। इस प्रकार ट्रंप के इस फैसले ने अमेरिकी फर्मों और उपभोक्ताओं पर टैक्स की तरह काम किया।"

क्या महंगाई बढ़ी? हां, लेकिन मात्रा में थोड़ी। घरेलू उपकरणों, फर्नीचर और कॉफी की कीमतों में वृद्धि हुई है।

क्या व्यापार संतुलन में सुधार हुआ? अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है।

क्या अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में सुधार हुआ? अभी तक कोई संकेत नहीं। कुल मिलाकर, स्कोर कार्ड नकारात्मक बना हुआ है।

भारत पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था, और अगस्त में रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लागू किया गया।

26 सितंबर को ट्रंप ने 1 अक्टूबर से ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मा उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना की घोषणा की।

Point of View

यह स्पष्ट है कि गीता गोपीनाथ की टिप्पणियाँ अमेरिकी व्यापार नीतियों पर गंभीरता से विचार करने का संकेत देती हैं। यह आवश्यक है कि हम ऐसे उपायों पर ध्यान दें जो न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूत करें, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी करें।
NationPress
08/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ?
नहीं, गीता गोपीनाथ के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।
क्या महंगाई में वृद्धि हुई है?
हां, महंगाई में थोड़ी वृद्धि हुई है, खासकर घरेलू उत्पादों की कीमतों में।
क्या व्यापार संतुलन में सुधार हुआ है?
नहीं, अभी तक व्यापार संतुलन में सुधार का कोई संकेत नहीं मिला है।
क्या अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग में सुधार हुआ है?
अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है।
क्या टैरिफ का प्रभाव केवल उपभोक्ताओं पर ही पड़ा है?
नहीं, यह अमेरिकी कंपनियों पर भी प्रभाव डालता है, जो टैक्स के रूप में उपभोक्ताओं पर बोझ डालते हैं।