क्या 3 जुलाई का दिन टेनिस जगत के लिए महत्वपूर्ण है? दो अलग साल, दो अलग इवेंट्स!

सारांश
Key Takeaways
- 3 जुलाई, 2004 को मारिया शारापोवा ने ग्रैंड स्लैम जीता।
- महेश भूपति ने 3 जुलाई, 2005 को विंबलडन मिक्स्ड डबल्स खिताब जीता।
- इस दिन का महत्व भारतीय टेनिस के लिए बहुत बड़ा है।
- मारिया ने अपने करियर में कई बड़े खिताब जीते हैं।
- महेश और मैरी की जोड़ी ने एक शानदार जीत हासिल की।
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 3 जुलाई का दिन टेनिस की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख है। यही वह दिन है, जब दो अलग-अलग इवेंट्स के फाइनल का आयोजन किया गया था। यह भारत के खेल इतिहास में भी एक शानदार दिन के रूप में जाना जाता है। आइए, देखें कि इस दिन टेनिस की दुनिया में किन-किन खिलाड़ियों ने बड़े उलटफेर किए थे।
3 जुलाई 2004: इस दिन रूस की मारिया शारापोवा ने महज 17 वर्ष की उम्र में अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। यह मुकाबला ऐसा था, जिसमें मारिया ने सेरेना विलियम्स को हराकर टाइटल अपने नाम किया। उस समय सेरेना विश्व की नंबर-1 खिलाड़ी थीं।
हालाँकि, वर्ष 2000 में महज 14 साल की उम्र में एडी हेर इंटरनेशनल जूनियर टेनिस चैंपियनशिप जीतकर मारिया ने पहले से ही ध्यान आकर्षित किया था, लेकिन इतनी कम उम्र में ग्रैंड स्लैम खिताब जीतकर उन्होंने सबको चौंका दिया।
वर्ष 2006 में मारिया ने यूएस ओपन जीता। इसके बाद, वर्ष 2008 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता। वर्ष 2012 और 2014 में उन्होंने फ्रेंच ओपन जीतकर अपनी छाप छोड़ दी। वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक के एकल में उन्होंने रजत पदक भी जीता। अपने करियर में 36 डब्ल्यूटीए और 4 आईटीएफ खिताब जीतने वाली शारापोवा ने कंधे की चोट के कारण 2020 में संन्यास लेने का निर्णय लिया।
19 अप्रैल 1987
3 जुलाई 2005: महेश भूपति ने 2005 में अपना दूसरा विंबलडन मिक्स्ड डबल्स खिताब जीता। भूपति ने यह खिताब फ्रांस की मैरी पियर्स के साथ मिलकर जीता, जिन्होंने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के पॉल हैनली और यूक्रेन की तातियाना पेरेबिनिस को 6-4, 6-2 से हराया।
यह इंडो-फ्रेंच जोड़ी ने 54 मिनट में यह मैच जीता। भले ही यह जोड़ी मिश्रित युगल में वरीयता सूची में नहीं थी, लेकिन उन्होंने सेंटर कोर्ट पर 15,000 फैंस के सामने एक भी सेट गंवाए बिना खिताब अपने नाम कर लिया।