क्या 3 जून को जन्मे दो महान गेंदबाजों ने क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- क्रिकेट के दो महान गेंदबाजों का जन्म 3 जून को हुआ।
- रिचर्ड हेडली ने तेज गेंदबाजी में नए मानक स्थापित किए।
- हरभजन सिंह ने स्पिन बॉलिंग में नई पहचान बनाई।
- दोनों गेंदबाजों ने विश्व क्रिकेट में अपने नाम कई रिकॉर्ड बनाए।
- इनकी गेंदबाजी ने कई बल्लेबाजों को परेशान किया।
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। क्रिकेट के इतिहास में 3 जून का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन दो महान गेंदबाजों का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी घातक और प्रभावी गेंदबाजी के माध्यम से विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। इनमें एक हैं न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज रिचर्ड हेडली और दूसरे भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह। दोनों का नाम क्रिकेट के इतिहास में श्रेष्ठ गेंदबाजों में शुमार है।
दाएं हाथ के तेज गेंदबाज रिचर्ड हेडली को महानतम गेंदबाजों में गिना जाता है। टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट लेने का कारनामा करने वाले इस गेंदबाज का जन्म 3 जुलाई 1951 को सेंट एल्बंस, क्राइस्टचर्च (न्यूजीलैंड) में हुआ था।
22 वर्ष की आयु में, हेडली ने 1973 में न्यूजीलैंड के लिए डेब्यू किया। वह बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप में खेलते थे। 1973 से लेकर 1990 तक, वे कीवी टीम के गेंदबाजी का मुख्य चेहरा रहे। उस समय, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज विश्व क्रिकेट में सबसे खतरनाक माने जाते थे। लेकिन, न्यूजीलैंड जैसे छोटे देश का यह गेंदबाज अपनी लाइन लेंथ, गति, और गेंदों में विविधता के साथ दुनियाभर के बल्लेबाजों को परेशान करता रहा और अपना नाम विश्व क्रिकेट के श्रेष्ठतम गेंदबाजों में दर्ज कराया। रिचर्ड हेडली ऐसे गेंदबाज रहे, जिनसे कोई भी बल्लेबाज सामना नहीं करना चाहता था।
रिचर्ड हेडली ने 86 टेस्ट में 431 विकेट लिए। इसके अलावा, 2 शतक और 15 अर्धशतक लगाते हुए 3124 रन बनाए। उनका टॉप स्कोर नाबाद 151 है। वहीं, 115 वनडे में 158 विकेट लेने वाले हेडली ने 4 अर्धशतक की मदद से 1751 रन बनाए।
टर्बनेटर के नाम से मशहूर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का जन्म 3 जून 1980 को हुआ था। हरभजन विश्व क्रिकेट के सर्वाधिक सफल ऑफ स्पिनर्स में से एक हैं। हरभजन ने अपने करियर की शुरुआत 1998 में की और आखिरी मैच 2016 में खेले। हरभजन ने भारत के लिए तीनों फॉर्मेट खेले और तीनों ही फॉर्मेट में भारत की बड़ी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2000-2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 32 विकेट लेकर हरभजन सिंह ने तहलका मचाने वाले प्रदर्शन किया और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुथैया मुरलीधरन के बाद, हरभजन ऐसे ऑफ स्पिनर बने, जिन्हें खेलना बड़े से बड़े बल्लेबाज के लिए चुनौती बन गया।
हरभजन सिंह 2007 में टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप में जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं।
हरभजन सिंह ने 103 टेस्ट में 417 विकेट, 236 वनडे में 269 विकेट और 28 टी20 में 25 विकेट लिए। हरभजन निचले क्रम के बेहतरीन बल्लेबाज भी रहे। टेस्ट क्रिकेट में 2 शतक और 9 अर्धशतक की मदद से उनके नाम 2224 रन और वनडे में 1237 रन दर्ज हैं। हरभजन सिंह टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज हैं। संन्यास के बाद, वह कमेंट्री और टीवी कार्यक्रमों में दिखाई देते हैं।