क्या ज्योति सुनिता कुल्लू ने 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू करके सबको प्रेरित किया?

सारांश
Key Takeaways
- ज्योति सुनिता कुल्लू ने 11 साल की उम्र में हॉकी शुरू की।
- उन्होंने 2007 में अर्जुन पुरस्कार जीता।
- 2002 में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- उनका जन्म ओडिशा के सुंदरगढ़ में हुआ।
- उन्होंने कपूरथला हॉकी अकादमी में प्रशिक्षण लिया।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के सुंदरगढ़ की ज्योति सुनिता कुल्लू उन लड़कियों के लिए एक अद्भुत प्रेरणा हैं, जो हॉकी में अपना भविष्य देख रही हैं। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कई टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है और स्वर्ण पदक सहित कई पुरस्कार जीते हैं।
साल 2007 में, उन्हें भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इस सम्मान को पाकर ज्योति ने इसे अपने लिए एक बड़ा गौरव बताया था।
9 सितंबर को ओडिशा के सुंदरगढ़ में जन्मी इस खिलाड़ी ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन के जरिए भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने 1996 में दिल्ली में इंदिरा गांधी गोल्ड कप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, गति और गोल स्कोरिंग कौशल ने उन्हें भारतीय हॉकी में एक प्रेरणा बना दिया।
2002 राष्ट्रमंडल खेलों (मैनचेस्टर) में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। ज्योति ने इस टूर्नामेंट में 4 गोलपांच डिफेंडरों को छकाकर गोलकीपर को हराया, आज भी यादगार है।
ज्योति का जन्म ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के बागबुरा गांव में हुआ था। शुरुआत में वह एथलेटिक्स में थी, लेकिन अपने अध्यापक की सलाह पर 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया। उन्होंने राउरकेला के पानपोश स्पोर्ट्स हॉस्टल में 5 साल तक प्रशिक्षण लिया और बाद में पंजाब के कपूरथला हॉकी अकादमी में शामिल हुईं।
ज्योति सुनिता कुल्लू ओडिशा और भारतीय महिला हॉकी में एक अग्रणी व्यक्तित्व हैं। उन्होंने पुरुष-प्रधान खेलों में महिलाओं के लिए रास्ता बनाया और सुंदरगढ़ जैसे क्षेत्रों से अन्य महिला खिलाड़ियों, जैसे दीप ग्रेस एक्का, के लिए प्रेरणा बनीं। उनकी उपलब्धियां और नेतृत्व ने भारतीय महिला हॉकी को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।