क्या किरण मोरे एक शानदार विकेटकीपर रहे हैं जिन्होंने बल्ले से भी जीवटता दिखाई?

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क्या किरण मोरे एक शानदार विकेटकीपर रहे हैं जिन्होंने बल्ले से भी जीवटता दिखाई?

सारांश

किरण मोरे, एक पूर्व भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज, ने अपनी विकेटकीपिंग और बल्ले से महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी बल्लेबाजी और विकेट के पीछे की चपलता ने उन्हें एक अद्वितीय क्रिकेटर बना दिया। जानिए उनकी यात्रा और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • किरण मोरे ने 49 टेस्ट मैच खेले और 1285 रन बनाए।
  • उन्होंने 16 कैच लपककर टेस्ट इतिहास में नाम कमाया।
  • 1992 के विश्व कप में भारत का हिस्सा रहे।
  • क्रिकेट से संन्यास के बाद कोच और चयन समिति अध्यक्ष बने।
  • उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। किरण मोरे भारत के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं, जिन्होंने अपनी विकेटकीपिंग क्षमताओं के साथ-साथ बल्ले से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह निचले क्रम में कई बार संकटमोचकों के रूप में सामने आए। विकेट के पीछे अपनी चपलता के लिए प्रसिद्ध मोरे उस समय के खिलाड़ी थे जब विकेटकीपिंग एक अत्यंत क्लासिक और तकनीकी कला थी। उस युग के विशेषज्ञ टेस्ट विकेटकीपर भले ही शानदार बल्लेबाज नहीं बन पाए, लेकिन क्रिकेट में उनकी पहचान थी। मोरे ने कई बार भारत को दबाव की प्रतियोगिताओं से बाहर निकाला।

4 सितंबर 1962 को बड़ौदा में जन्मे मोरे ने 1980 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा। घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के बाद, मोरे ने दिसंबर 1984 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। जल्दी ही उन्होंने खुद को एक विश्वसनीय विकेटकीपर के रूप में स्थापित किया। उनकी चपलता और बार-बार अपील करने की आदत ने उन्हें विपक्षी टीम के लिए एक सिरदर्द बना दिया।

1986 में उन्हें टेस्ट टीम में जगह मिली। मोरे ने अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला में 16 कैच लेकर इतिहास रचा। यह इंग्लैंड के खिलाफ एक भारतीय विकेटकीपर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

मोरे ने पहले टेस्ट में पांच विकेट लिए, अगले में छह कैच और तीसरे में पांच कैच लपके। इस श्रृंखला के बाद, वह टीम इंडिया के लिए टेस्ट फॉर्मेट में पहली पसंद बन गए।

किरण मोरे 1992 के विश्व कप में टीम का हिस्सा थे। 4 मार्च को भारत-पाकिस्तान के बीच एक हाई वोल्टेज मैच में, मोरे की बार-बार अपील ने पाकिस्तानी बल्लेबाज जावेद मियांदाद को इतना झल्ला दिया कि उन्होंने पिच पर कूदना शुरू कर दिया। मियांदाद ने उस पारी में 40 रन बनाए और भारत ने मैच 43 रन से जीत लिया।

मोरे को निचले क्रम में बल्लेबाजी के लिए भेजा जाता था। कई मौकों पर उन्होंने टीम को संकट से निकाला।

14 अक्टूबर 1987 को रिलायंस विश्व कप में मोरे ने 26 गेंदों में पांच चौकों के सहारे 42 रन बनाकर नाबाद रहे। उस समय तक टीम इंडिया ने 170 के स्कोर पर अपने सात विकेट खो दिए थे। मोरे ने कप्तान कपिल देव के साथ मिलकर 82 रन की साझेदारी कर टीम को 252 तक पहुंचाया। इस पारी में नवजोत सिंह सिद्धू (75) और कपिल देव (72) ने भी योगदान दिया।

न्यूजीलैंड के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुए, उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई।

पाकिस्तान के खिलाफ नवंबर 1989 में, मोरे ने 96 गेंदों में नाबाद 58 रन बनाकर भारत को 262 पर पहुंचाया। उनकी पारी ने टीम को उस समय संभाला जब इसकी सख्त आवश्यकता थी।

अगस्त 1990 में ओवल टेस्ट में, मोरे ने इंग्लैंड के खिलाफ 61 रन बनाए। रवि शास्त्री और कपिल देव ने शतक बनाकर भारत को 606/9 के स्कोर तक पहुंचाया।

किरण मोरे ने कुल 49 टेस्ट मैचों में 1,285 रन बनाए, जिसमें 110 कैच और 20 स्टंपिंग शामिल हैं। वनडे में उन्होंने 94 मैचों में 563 रन बनाए।

क्रिकेट से संन्यास के बाद, मोरे ने कोच और चयन समिति अध्यक्ष के रूप में योगदान दिया और कई क्रिकेट अकादमियों में युवा क्रिकेटरों का मार्गदर्शन किया। उन्हें 1993 में 'अर्जुन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया।

Point of View

NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

किरण मोरे ने कितने टेस्ट मैच खेले?
किरण मोरे ने कुल 49 टेस्ट मैच खेले।
किरण मोरे का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन क्या है?
उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 16 कैच लपकना है, जो उन्होंने अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला में किया था।
क्या मोरे ने विश्व कप में भाग लिया?
हाँ, किरण मोरे 1992 के विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे।
मोरे ने वनडे में कितने रन बनाए?
मोरे ने वनडे में 563 रन बनाए।
किरण मोरे को कौन सा पुरस्कार मिला?
उन्हें 1993 में 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।