क्या पिता का सपना पूरा कर पाएंगी पूजा सिहाग, जिन्होंने भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल दिलाया?

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क्या पिता का सपना पूरा कर पाएंगी पूजा सिहाग, जिन्होंने भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल दिलाया?

सारांश

पूजा सिहाग, जिन्होंने रेसलिंग में कई चुनौतियों का सामना किया, अब कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए मेडल जीत चुकी हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी प्रेरणादायक है। जानिए कैसे उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया।

Key Takeaways

  • पूजा सिहाग एक प्रेरणादायक रेसलर हैं।
  • उनके पिता का सपना हमेशा उनके साथ रहा।
  • कठिनाइयों का सामना करके ही सफलता प्राप्त की गई।
  • कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतना एक बड़ी उपलब्धि है।
  • परिवार का समर्थन हमेशा महत्वपूर्ण होता है।

नई दिल्ली, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा की पूजा सिहाग भारतीय रेसलिंग के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम बन चुकी हैं। रेसलिंग के मैट पर अपने विरोधियों को पराजित करने वाली पूजा ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन वह कभी टूट नहीं पाईं। पूजा ने मुश्किलों का साहस से सामना किया और देश के लिए कई पदक जीते।

17 जुलाई 1997 को हिसार में जन्मी पूजा का बचपन में वजन काफी ज्यादा था। उनके पिता सुभाष सिहाग उन्हें प्यार से 'पहलवान' कहकर बुलाते थे और चाहते थे कि उनकी बेटी रेसलिंग में करियर बनाए, ताकि वह फिट रहें।

पूजा सिहाग के गांव में 2011 में लड़कियों के लिए एक रेसलिंग एकेडमी स्थापित हुई, जहां कई लड़कियां प्रशिक्षण लेने आईं। माता-पिता ने भी पूजा को रेसलिंग में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

उनके माता-पिता उन्हें एकेडमी लेकर गए, जहां कोच ने पूजा की कड़ी ट्रेनिंग की। शुरुआत में पूजा का मन वहां नहीं लगता था, क्योंकि उनकी उम्र लगभग 12-13 साल थी।

जब पूजा हार जाती थीं, तो वह रोने लगती थीं, लेकिन उनके पिता हमेशा कहते थे कि 'आज तुम हारी हो, कल तुम जीतोगी।' पिता की यह प्रेरक बातें पूजा के मन में गहराई से बैठ गईं।

धीरे-धीरे पूजा सीनियर खिलाड़ियों के साथ रेसलिंग करने लगीं और उन्हें हराते-हराते वह हरियाणा की जानी-मानी रेसलर बन गईं। पूजा सिहाग ने एशियन अंडर-23 चैंपियनशिप 2019 में सिल्वर मेडल अपने नाम किया और इसके बाद एशियन चैंपियनशिप 2021 में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

साल 2020 में ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान उन्हें अपने पिता के निधन की खबर मिली, जिससे वह मानसिक रूप से बहुत टूट गईं। उस समय पूजा के मन में रेसलिंग छोड़ने का विचार आया, लेकिन उनके पिता हमेशा चाहते थे कि उनकी बेटी एक सफल पहलवान बने। इसलिए उन्होंने पिता के सपने को पूरा करने के लिए फिर से मैट पर वापसी की, हालांकि वह ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाईं। फिर भी, उनके मन में पिता के सपने को पूरा करने की जिद थी।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के ट्रायल से पहले पूजा की कोहनी में चोट लग गई, जिसके कारण वह ट्रेनिंग नहीं कर सकीं। ट्रायल से दो महीने पहले उन्हें एक जूनियर खिलाड़ी से हार का सामना करना पड़ा, जिसने उन्हें फिर से मानसिक रूप से तोड़ दिया। लेकिन उनके बड़े भाई ने उनका हौसला बढ़ाया।

पूजा सिहाग ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए क्वालीफाई किया और 9वें दिन 76 किलोग्राम भारवर्ग में ऑस्ट्रेलिया की नाओमी डी ब्रूइन को हराते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।

Point of View

बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि किस तरह से संघर्ष और समर्पण से हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। यह कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

पूजा सिहाग ने कब और कहाँ जन्म लिया?
पूजा सिहाग का जन्म 17 जुलाई 1997 को हिसार, हरियाणा में हुआ।
पूजा ने कितने मेडल जीते हैं?
पूजा ने एशियन अंडर-23 चैंपियनशिप 2019 में सिल्वर और एशियन चैंपियनशिप 2021 में ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।
पूजा की सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
पूजा को अपने पिता के निधन के बाद ओलंपिक क्वालीफायर में प्रतियोगिता में शामिल होना था, जो उनके लिए बहुत कठिन था।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पूजा ने कौन सा मेडल जीता?
पूजा ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 76 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
पूजा का परिवार उनके रेसलिंग करियर में कैसे मदद करता है?
पूजा के माता-पिता ने हमेशा उन्हें रेसलिंग में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और समर्थन दिया।