क्या रांची में 'स्वदेशी मैराथन' ने 25 हजार लोगों को एकजुट किया?

सारांश
Key Takeaways
- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का संकल्प
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
- 25 हजार लोगों की भागीदारी
- राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
- स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
रांची, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मोरहाबादी मैदान में रविवार को ‘स्वदेशी मैराथन’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
यह कार्यक्रम सुबह 6.30 बजे से शुरू हुआ, जब हरी झंडी दिखाकर मैराथन की शुरुआत की गई। इस मैराथन में लगभग 25 हजार लोगों ने भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देते हुए आत्मनिर्भर भारत के विचार को मजबूती प्रदान करना था।
इस अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा, "स्वदेशी का नारा हमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उस विचार की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि स्वदेशी अपनाना केवल वस्तुओं का चयन नहीं, बल्कि देश के प्रति समर्पण का भाव है। यह भावना हमें स्वदेशी के प्रति प्रेरित करती है, जिसे महात्मा गांधी ने स्वतंत्र भारत का आधार माना। प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान किया है। झारखंड के लोग इस अभियान को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में विकसित भारत का सपना साकार होने से कोई रोक नहीं सकता।"
मंत्री संजय सेठ ने कहा, "हम चाहते हैं कि सभी देशवासी स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें। करीब 25 हजार लोगों ने 5.5 किलोमीटर की मैराथन में भाग लिया है। इन लोगों ने स्वदेशी चीजें अपनाने का संकल्प लिया है। मैं रांची की जनता के इस उत्साह को सलाम करता हूं। हमें प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प पूरा करना चाहिए।"
कर्नल वीएन थापर ने कहा, "मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मुझे आयोजन का निमंत्रण मिला। खेलों में भाग लेना और उन्हें बढ़ावा देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने मोटापे को खत्म करने की बात कही है और खेलों में भाग लेकर हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।"
मैराथन में भाग लेने आई एक छात्रा ने कहा, "हमें स्वदेशी अपनाना चाहिए। हमें दीपावली जैसे त्योहारों में चाइनीज के बजाय स्वदेशी चीजों का उपयोग करना चाहिए। मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करना चाहिए। यह मैराथन सभी को फिट रहने का संदेश भी देती है।"