क्या सचिन नाग ने पैसा जुटाकर ओलंपिक में भाग लिया और एशियन गेम्स में इतिहास रचा?

सारांश
Key Takeaways
- सचिन नाग ने 1951 के एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।
- उन्होंने तैराकी में कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किए।
- पैसे की कमी के बावजूद, उन्होंने ओलंपिक में भाग लिया।
- उन्हें मेजर ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- फरवरी 2025 में उन्हें हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रमुख तैराक सचिन नाग ने 1951 के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर एक नया इतिहास रचा था। वह स्वतंत्र भारत के पहले एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी बने। सचिन नाग ने तैराकी के क्षेत्र में देश का मान बढ़ाया और युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने।
5 जुलाई 1920 को वाराणसी में जन्मे सचिन नाग गंगा के किनारे पले-बढ़े थे। उन्हें तैराकी का शौक था, लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि वह इसमें एक दिन देश का नाम रोशन करेंगे। जल्दी ही वह एक महान तैराक के रूप में उभरे। तैराकी में अपनी सुधार करते हुए, उन्होंने प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। 1930 से 1936 के बीच सचिन नाग ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और हर बार टॉप-2 में स्थान बनाया।
जामिनी दास, उस समय के प्रसिद्ध तैराकी कोच, ने सचिन की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें कोलकाता बुलाया और ट्रेनिंग शुरू की। सचिन नाग ने बंगाल के हाटखोला क्लब से स्टेट चैंपियनशिप में भाग लेना शुरू किया।
उन्होंने 1938 में 100 मीटर और 400 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में जीत हासिल की। अगले वर्ष उन्होंने 100 मीटर फ्रीस्टाइल में नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी की और 200 मीटर फ्रीस्टाइल में नया रिकॉर्ड स्थापित किया।
महज 20 वर्ष की आयु में, सचिन नाग ने दिलीप मित्रा का 100 मीटर फ्रीस्टाइल रिकॉर्ड तोड़ दिया। वह लगातार नौ वर्षों तक राज्य स्तर पर 100 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी प्रतियोगिता के विजेता रहे। अब उनका लक्ष्य 1948 के ओलंपिक गेम्स में भाग लेना था, लेकिन 1947 में एक दुर्घटना में उनकी फीमर हड्डी टूट गई। डॉक्टर्स ने उन्हें अगले दो साल तैराकी से दूर रहने का निर्देश दिया, लेकिन उनके मन में केवल ओलंपिक का विचार था।
सचिन नाग ने रिकवरी के तुरंत बाद ओलंपिक की तैयारी शुरू की। उन्होंने छह महीने की मेहनत की, लेकिन पैसे की समस्या आ गई। इस खिलाड़ी ने विभिन्न स्थानों पर जाकर फंड जुटाया। इस दौरान, मशहूर गायक हेमंत मुखोपाध्याय ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिससे धन जुटाने में सचिन नाग की मदद की। अंततः वह ओलंपिक में शामिल हुए और छठा स्थान हासिल किया।
1951 के एशियन गेम्स में 100 मीटर फ्रीस्टाइल इवेंट में सचिन नाग ने गोल्ड मेडल जीता। यह गेम्स नई दिल्ली में आयोजित हुए थे। उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहकर सचिन नाग को बधाई दी और उन्हें गुलाब का फूल भेंट किया।
सचिन नाग ने एशियन गेम्स 1951 के 4×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले और 3×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाए। उन्होंने ओलंपिक गेम्स 1952 में भी भाग लिया। 19 अगस्त 1987 को इस महान तैराक ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 2020 में उन्हें मेजर ध्यानचंद पुरस्कार (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
फरवरी 2025 में सचिन नाग को अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ ने 'हॉल ऑफ फेम' में शामिल किया है, जिसमें माइकल फेल्प्स और जॉनी वाइजमुलर जैसे तैराक शामिल हैं।