क्या आदिवासी इलाके से निकलकर सरिता गायकवाड़ ने दुनिया में छाप छोड़ी, पीएम मोदी का इसमें क्या योगदान है?

सारांश
Key Takeaways
- सरिता गायकवाड़ की प्रेरणादायक यात्रा
- पीएम मोदी का समर्थन
- खेल महाकुंभ में पुरस्कार
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व
- आदिवासी लड़कियों की सफलता की कहानी
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात के आदिवासी क्षेत्र डांग से उठकर सरिता गायकवाड़ ने भारतीय एथलीट जगत में अपनी अनोखी पहचान बनाई है। सरिता ने अपने अद्भुत प्रदर्शन से भारत को कई मेडल दिलाए हैं, लेकिन एक दूरदराज आदिवासी गांव से अंतरराष्ट्रीय खेलों तक का सफर आसान नहीं था।
जब सरिता संघर्ष कर रही थीं, उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सहायता की। जैसे-जैसे सरिता बड़ी हुईं, उनमें एथलेटिक्स के प्रति गहरा जुनून विकसित हुआ।
गुजरात का 'खेल महाकुंभ' सरिता के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया। राज्य स्तर पर खेलते हुए उन्होंने सभी को प्रभावित किया। उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से एक जोड़ी जूते प्राप्त हुए। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने उन्हें 25,000 रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया।
सरिता ने सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर 'मोदी स्टोरी' हैंडल पर बताया, "मैं ऐसी पृष्ठभूमि से आई हूं कि एक जोड़ी स्पोर्ट्स शूज भी नहीं खरीद सकती थी। मुझे अपने जीवन का पहला गिफ्ट मोदी जी से एक जोड़ी जूते मिले थे।"
खेल महाकुंभ में बेहतरीन प्रदर्शन के फलस्वरूप गुजरात सरकार ने उन्हें 25,000 रुपये का पुरस्कार दिया, जिसे याद करते हुए सरिता ने कहा, "यह 25,000 रुपये मेरे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुए। इसने मुझे अपने जीवन को पटरी पर लाने में सहायता की।"
इसके बाद सरिता को एक स्पोर्ट्स हॉस्टल में प्रवेश मिला, जहां उन्हें पेशेवर कोचिंग, चिकित्सा सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
1 जून 1994 को गुजरात में जन्मी सरिता पहले खो-खो खिलाड़ी थीं, जिन्होंने 2010 तक इसे खेला, लेकिन इसके बाद वे एक धाविका बन गईं।
सरिता गर्व और कृतज्ञता के साथ कहती हैं, "मोदी जी के लड़कियों के प्रति स्नेह के कारण मेरी जिंदगी बदल गई। यह उनकी दूरदर्शिता ही थी जिसने मुझ जैसी आदिवासी लड़की को जंगल से दुनिया तक पहुंचाया।"
सरिता ने जकार्ता एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस सफलता के लिए सरकार ने उन्हें 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी के सहयोग से उन्हें गुजरात सरकार में नियुक्त किया गया।
2011 में कोच की सलाह पर सरिता 400 मीटर हर्डल और 400 मीटर रेस की विशेषज्ञ बन गईं। सरिता ने 2018 में एशियन गेम्स के 4 गुणा 400 मीटर महिला रिले टीम इवेंट में गोल्ड जीता।
उन्हें उसी साल कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुना गया। वह 4 गुणा 400 मीटर महिला रिले टीम में जगह बनाने वाली गुजरात की पहली खिलाड़ी थीं।
सरिता कहती हैं, "प्रधानमंत्री मोदी की ओर से एशियन गेम्स के पदक विजेताओं के लिए आयोजित सम्मान समारोह में, उन्होंने (पीएम मोदी) बताया कि वह मुझे गुजरात में मेरे शुरुआती दिनों से जानते थे।"
सरिता गायकवाड़ की कहानी मात्र उनकी नहीं, बल्कि यह भारत के दूरदराज के इलाकों की अनगिनत लड़कियों की कहानी है, जिन्होंने शिक्षा, कौशल विकास, खेल और उद्यमिता के माध्यम से पीएम मोदी की दूरदर्शी पहलों के सहारे बाधाओं को पार करते हुए सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है।