क्या सीमा अंतिल पुनिया ने 17 की उम्र में मेडल जीता और फिर चार बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया?

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क्या सीमा अंतिल पुनिया ने 17 की उम्र में मेडल जीता और फिर चार बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया?

सारांश

सीमा अंतिल पुनिया, जो भारतीय एथलेटिक्स की एक प्रसिद्ध हस्ती हैं, ने अपने कठिन सफर में अद्वितीय सफलता हासिल की है। अपनी मेहनत और कड़ी मेहनत के बल पर, उन्होंने ओलंपिक और कॉमनवेल्थ खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।

Key Takeaways

  • सीमा अंतिल पुनिया ने कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की।
  • उन्होंने चार बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
  • उनकी प्रेरणादायक कहानी युवा खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल है।
  • सीमा ने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में भी पदक जीते हैं।
  • सामाजिक बदलाव की प्रतीक बनी हैं।

नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत की डिस्कस थ्रोअर सीमा अंतिल पुनिया ने चार बार ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन उनके लिए यहां तक पहुंचने का सफर साधारण नहीं रहा। वह लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रही हैं।

27 जुलाई 1983 को सोनीपत में जन्मी सीमा पुनिया एक खिलाड़ियों के परिवार से आती हैं। उनके भाई आनंदपाल सिंह कुश्ती खिलाड़ी रहे हैं, जबकि अमितपाल सिंह ने हॉकी में नाम कमाया। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के बीच, सीमा महज 11 साल की उम्र में एथलेटिक्स की दुनिया में कदम रख चुकी थीं।

यद्यपि सीमा को दौड़ने और कूदने का शौक था, लेकिन कोच की सलाह पर उन्होंने डिस्कस थ्रो में करियर बनाने का निर्णय लिया।

महज 17 साल की उम्र में सीमा पुनिया ने विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था, किंतु डोपिंग विवाद में फंसने के कारण उनसे यह पदक छिन गया। उन्होंने जिस ड्रग का सेवन किया था, वह जुकाम के इलाज के लिए उपयोग होती है। हालांकि, आईएएएफ के नियमों के अनुसार उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखते हुए जमैका के किंग्स्टन में 2002 में आयोजित विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

सीमा पुनिया ने 2006 कॉमनवेल्थ गेम्स में 60 मीटर का थ्रो करते हुए रजत पदक जीता, जो कि उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। उसी वर्ष हरियाणा सरकार ने उन्हें 'भीम पुरस्कार' से सम्मानित किया।

उन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, किंतु घुटने की चोट के कारण वह 2008 बीजिंग ओलंपिक में भाग नहीं ले सकीं। हालांकि, उन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में एक बार फिर से पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक, 2016 रियो ओलंपिक और 2020 टोक्यो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।

इस दौरान, सीमा ने 2014 और 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पदक दिलवाए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता और 2018 एवं 2022 के एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल भी जीते।

Point of View

जो न केवल खेल के क्षेत्र में बल्कि समाज में भी बदलाव की प्रतीक बनी हैं।
NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

सीमा अंतिल पुनिया ने कब ओलंपिक में भाग लिया?
सीमा अंतिल पुनिया ने 2004, 2012, 2016, और 2020 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
सीमा पुनिया का जन्म कब हुआ?
सीमा पुनिया का जन्म 27 जुलाई 1983 को सोनीपत में हुआ था।
सीमा पुनिया ने कौन सा पुरस्कार जीता है?
सीमा पुनिया ने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें 2006 कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक और 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल शामिल हैं।
सीमा पुनिया को किस खेल में रुचि थी?
सीमा पुनिया को दौड़ने और कूदने का शौक था, लेकिन उन्होंने डिस्कस थ्रो में करियर बनाने का निर्णय लिया।
सीमा पुनिया का परिवार किस प्रकार का है?
सीमा पुनिया एक खिलाड़ियों के परिवार से आती हैं, जिसमें उनके भाई कुश्ती और हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं।