बिहार विधानसभा चुनाव: क्या 2025 में अमौर सीट पर होगी एआईएमआईएम की जीत?

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बिहार विधानसभा चुनाव: क्या 2025 में अमौर सीट पर होगी एआईएमआईएम की जीत?

सारांश

अमौर विधानसभा क्षेत्र, जो पूर्णिया जिले में स्थित है, मुस्लिम बहुल सीटों में से एक है। 2025 के चुनावों में एआईएमआईएम की जीत की संभावनाएँ क्या हैं? जानिए इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण मुद्दों और राजनीतिक परिदृश्य के बारे में।

Key Takeaways

  • अमौर विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल है।
  • यहां के मुद्दे विकास और रोजगार से जुड़े हैं।
  • 2025 के चुनावों में एआईएमआईएम की जीत की संभावनाएँ हैं।
  • सभी प्रमुख दल मुस्लिम उम्मीदवार उतारते हैं।
  • मतदाता अब विकास के वादों पर ध्यान दे रहे हैं।

पटना, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित अमौर विधानसभा क्षेत्र, किशनगंज लोकसभा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें अमौर और बैसा प्रखंड शामिल हैं। 1951 में अस्तित्व में आई इस सीट का भूगोल और जनसांख्यिकी इसे बिहार की सबसे रोचक चुनावी सीटअमौर, पूर्णिया जिला मुख्यालय से 32 किमी, किशनगंज से 50 किमी, और कटिहार से लगभग 60 किमी दूर है। सड़क मार्ग से जुड़ाव अच्छा है और यह क्षेत्र सीमांचल के व्यापारिक व सांस्कृतिक संपर्क बिंदुओं में से एक है।

1951 से अब तक अमौर में 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि केवल एक बार, 1977 में जनता पार्टी के चंद्रशेखर झा के रूप में एक गैर-मुस्लिम उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस यहां 8 बार जीत चुकी है, निर्दलीय उम्मीदवार 4 बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी 2 बार, जबकि जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, भाजपा और एआईएमआईएम ने एक-एक बार बाजी मारी है। 2020 में एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान ने इस सीट पर ऐतिहासिक जीत हासिल की, जो अमौर में पार्टी की पहली सफलता थी।

अमौर में मुस्लिम मतदाता बहुमत में हैं, और अब तक के नतीजे बताते हैं कि यह सीट मुस्लिम नेतृत्व के इर्द-गिर्द ही घूमती है। यही कारण है कि सभी प्रमुख दल यहां मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारते हैं। 1977 के अपवाद को छोड़कर बाकी सभी चुनाव मुस्लिम नेताओं ने जीते हैं।

2020 में एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान ने मुस्लिम वोट बैंक की एकजुटता के दम पर जीत दर्ज की। हालांकि, 2025 में तस्वीर बदल सकती है क्योंकि एनडीए इस सीट को जीतने के लिए आक्रामक रणनीति बना रही हैं।

बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी यहां के बड़े मुद्दे हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़क और सिंचाई व्यवस्था सुधारने की मांग लंबे समय से उठ रही है। मतदाता अब सिर्फ जाति और धर्म पर नहीं, बल्कि विकास के वादों पर भी नजर रख रहे हैं। 2025 के चुनाव में अगर मुस्लिम वोट एकजुट रहे, तो एआईएमआईएम के लिए सीट बचाना आसान होगा, लेकिन अगर महागठबंधन और एनडीए उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे, तो नतीजा पलट सकता है।

2024 के आंकड़ों के अनुसार, अमौर विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 5,45,249 है, जिनमें 2,80,052 पुरुष और 2,65,197 महिलाएं शामिल हैं। इस सीट पर कुल 3,24,576 मतदाता हैं, जिनमें 1,68,179 पुरुष, 1,56,384 महिलाएं और 13 थर्ड जेंडर हैं।

Point of View

तो परिणाम बदल सकते हैं। यह क्षेत्र विकास, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

अमौर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास क्या है?
अमौर विधानसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया और तब से यह विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र रहा है।
यहां के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे यहां महत्वपूर्ण हैं।
2025 के चुनाव में कौन से दल प्रमुख होंगे?
एआईएमआईएम, एनडीए और महागठबंधन जैसे दल यहां मुख्य रूप से चुनावी मैदान में रहेंगे।
अमौर की जनसंख्या क्या है?
2024 के आंकड़ों के अनुसार, अमौर विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 5,45,249 है।
क्या मुस्लिम मतदाता एकजुट रहेंगे?
अगर मुस्लिम मतदाता एकजुट रहे, तो एआईएमआईएम के लिए सीट बचाना आसान हो सकता है।