क्या 93वां वायुसेना दिवस: ऑपरेशन सिंदूर समारोह का मुख्य केंद्र था?

सारांश
Key Takeaways
- 93वां भारतीय वायुसेना दिवस एक गर्व का क्षण है।
- ऑपरेशन सिंदूर ने हमारी वायु शक्ति को साबित किया।
- वीर जवानों का सम्मान किया गया।
- हवाई ताकत राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण है।
- समारोह में उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल हुए।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर बुधवार को 93वां भारतीय वायुसेना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर देश की रक्षा में समर्पित वायु सेना के वीर जवानों को सम्मानित किया गया।
इस वर्ष के समारोह में विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर को याद किया गया, जो भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है।
भारतीय वायुसेना (आईएएफ), जो कि भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई शाखा है, 8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश भारत की सहायक वायु सेना के रूप में स्थापित हुई थी। इसका मुख्य कार्य भारतीय वायु क्षेत्र की सुरक्षा करना और सशस्त्र संघर्षों के दौरान हवाई युद्ध करना है। तब से यह बल विश्व की सबसे शक्तिशाली वायु शक्तियों में से एक के रूप में विकसित हुआ है।
इस विशेष अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी हिंडन एयरबेस पहुंचे और कार्यक्रम में भाग लिया।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने समारोह के दौरान आयोजित परेड का निरीक्षण किया, जिसमें देश के आकाश के रक्षकों को ऑपरेशन सिंदूर में उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया। इस परेड में वायु सैनिकों ने भव्य मार्च पास्ट किया, वहीं लड़ाकू विमान रनवे पर प्रदर्शित किए गए, जिससे दर्शकों ने भारत की हवाई ताकत और उसकी सटीकता को करीब से देखा।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा, "इस दिन का जश्न मनाते हुए हम भारतीय वायुसेना की बहादुरी, समर्पण और अडिग भावना को नमन करते हैं, जिन्होंने हमारे देश के आसमान को सुरक्षित रखा है।"
उन्होंने आगे कहा, "दुनिया एक बड़े भू-राजनीतिक बदलाव के दौर से गुजर रही है और हाल के संघर्षों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हवाई ताकत राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में निर्णायक भूमिका निभाती है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमने यह साबित किया कि वायु शक्ति ही आधुनिक युद्धों के परिणाम तय करती है।"
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को पहलगाम हमले की जवाबी कार्रवाई में आरंभ की गई थी। यह भारतीय सशस्त्र बलों की एक उच्च-सटीक, खुफिया जानकारी पर आधारित कार्रवाई थी। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के भीतर स्थित नौ आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया गया।