क्या 'मैं वापस आऊंगा' गाने वाले मोहम्मद अजीज का जादू अब भी जिंदा है?
सारांश
Key Takeaways
- मोहम्मद अजीज की आवाज़ ने 90 के दशक के गानों को अमर बना दिया।
- उनका गाना 'मैं हूं मर्द तांगे वाला' आज भी लोकप्रिय है।
- उनकी अद्भुत प्रतिभा ने उन्हें एक अद्वितीय गायक बना दिया।
- उनका जीवन प्रेरणा देता है कि कैसे सपनों का पीछा किया जा सकता है।
- उनकी आवाज़ में जो जादू था, वो कभी नहीं मरेगा।
मुंबई, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 27 नवंबर का दिन, हमें सात साल पहले की एक दुखद घटना की याद दिलाता है। इस दिन फिल्म इंडस्ट्री ने अपनी मखमली आवाज को हमेशा के लिए खो दिया, बिना जिसके 90 के दशक के गाने अधूरे माने जाते हैं।
मोहम्मद अजीज के जाने को अब सात साल हो गए हैं, लेकिन उनका खालीपन आज भी महसूस किया जाता है। 27 नवंबर 2018 को बॉलीवुड ने अपनी सबसे प्यारी और रेशमी आवाज को हमेशा के लिए खो दिया।
पश्चिम बंगाल के अशोकनगर में 2 जुलाई 1954 को जन्मे अजीज ने कभी सोचा नहीं था कि उनकी आवाज लाखों दिलों की धड़कन बनेगी। उनके घर में उर्दू-बांग्ला शायरी का माहौल था, उनकी मां की दुआएं और कोलकाता की गलियों में गुनगुनाते हुए गायकी का शौक उन्हें मुंबई तक ले आया। स्कूल के दिनों से ही उन्हें गाने का शौक था।
उनकी आवाज न तो बहुत भारी थी, न ही पतली, बस इतनी कि सुनते ही आँखें बंद हो जाएं और दिल कहे, “हां, बस यही चाहिए था।”
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इस जादू को पहले पहचान लिया, और 1983 में 'इंसाफ कौन करेगा' से उनकी यात्रा शुरू हुई। लेकिन 1987 में 'चालबाज' का 'तेरा बीमार मेरा दिल' गाना सुनकर पूरी इंडस्ट्री उनकी मुरीद हो गई।
इसके बाद आया 'खुदा गवाह' का 'तू ना जा मेरे बादशाह', जो अमिताभ बच्चन पर भी खूब फबता था। फिर, 'खुदगर्ज' का 'आपके आ जाने से' आया, जो कुमार सानू के साथ उनकी जोड़ी को हर शादी में लोकप्रिय बना गया। ऐसे ही कई गानों के जरिए उन्होंने अपनी प्रतिभा को साबित किया और श्रोताओं के दिलों में खास जगह बनाई। 'राम लखन' का 'मेरे दो अनमोल रतन' भला कैसे भुलाया जा सकता है।
मोहम्मद अजीज को 'मर्द' के 'मैं हूं मर्द तांगे वाला' गाने से बहुत लोकप्रियता मिली। इसके बाद, उन्होंने 'लाल दुपट्टा मलमल का', 'मैं से मीना से न साकी से' जैसे कई सफल गानों को अपनी आवाज दी।
अजीज का मानना था कि उनकी खूबसूरत आवाज के पीछे उनकी मां की दुआएं थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “लोग पूछते हैं कि आवाज इतनी मीठी कैसे? मैं बोलता हूं, मां की दुआएं और कोलकाता की मछली!”
संगीत की दुनिया को गुलजार करने वाले इस गायक के प्रशंसकों के लिए 27 नवंबर 2018 का दिन एक काले अध्याय की तरह था। कोलकाता से स्टेज शो करके मुंबई लौटते समय अचानक सीने में तेज दर्द हुआ, और अस्पताल पहुँचते-पहुँचते सब खत्म हो गया। महज 64 साल की उम्र में उनका अधूरा राग हमेशा के लिए थम गया।
उनके निधन के बाद अनु मलिक ने कहा था, “मोहम्मद अजीज की आवाज में वो रूहानी सुकून था जो आज की टेक्नोलॉजी भी नहीं ला सकती।”