क्या संविधान दिवस पर यूनेस्को मुख्यालय में बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण गौरव की बात है?

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क्या संविधान दिवस पर यूनेस्को मुख्यालय में बाबा साहेब की प्रतिमा का अनावरण गौरव की बात है?

सारांश

संविधान दिवस पर पेरिस में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे गौरव का क्षण बताया और संविधान के प्रति श्रद्धांजलि दी। यह आयोजन न केवल डॉ. आंबेडकर की विरासत को सम्मानित करता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नींव को भी मजबूती प्रदान करता है।

Key Takeaways

  • संविधान दिवस पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण हुआ।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने इसे गौरव का क्षण बताया।
  • यह आयोजन डॉ. आंबेडकर की विरासत को सम्मानित करता है।
  • नागरिकों को संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।
  • संविधान के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में यह समारोह महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। संविधान दिवस के अवसर पर, फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित यूनेस्को मुख्यालय में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह अत्यंत गर्व का विषय है कि आज, संविधान दिवस के अवसर पर, पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया।

यह डॉ. आंबेडकर और हमारे संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। उनके विचार और आदर्श असंख्य लोगों को शक्ति और आशा प्रदान करते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि आज नई दिल्ली में बने संविधान सदन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में आयोजित संविधान दिवस समारोह में भाग लिया। हमारे संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण को याद किया गया और संविधानिक आदर्शों को सुदृढ़ करने की हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को दोहराया गया।

इससे पहले संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में एक भव्य राष्ट्रीय समारोह के आयोजन के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया गया।

राष्ट्रपति ने इस समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री, सांसद और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया और फिर उपराष्ट्रपति ने अपने विचार साझा किए।

राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया और नागरिकों से इसके मूल सिद्धांतों न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को बनाए रखने का आह्वान किया। समारोह का समापन राष्ट्रपति द्वारा संविधान की प्रस्तावना के वाचन और उसके बाद राष्ट्रगान के साथ हुआ।

संसदीय कार्य मंत्रालय, माईगॉव के सहयोग से एक राष्ट्रव्यापी अभियान भी आयोजित कर रहा है, जिसमें "हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान" पर निबंध और ब्लॉग लेखन प्रतियोगिता, इसी विषय पर एक ऑनलाइन क्विज तथा व्यापक नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए संविधान की प्रस्तावना का वाचन करने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

Point of View

जो न केवल संविधान के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाता है, बल्कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विचारधारा को भी पुनर्जीवित करता है। यह हमें याद दिलाता है कि संविधान और उसके मूल सिद्धांतों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

संविधान दिवस कब मनाया जाता है?
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है।
यूनेस्को मुख्यालय कहां स्थित है?
यूनेस्को मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का योगदान क्या है?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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