क्या आपातकाल लगाना संविधान की हत्या थी? : सीएम मोहन यादव

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल को संविधान की हत्या बताया गया।
- युवाओं को लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया गया।
- कई युवा नेताओं ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए।
- भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय लिया है।
- लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
भोपाल, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को कहा कि आपातकाल लगाना तत्कालीन प्रधानमंत्री की ओर से संविधान की हत्या थी। आपातकाल के संबंध में न तो केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृति दी थी और न ही राज्यों से कोई ऐसा प्रस्ताव आया था। जिम्मेदार व्यक्तियों ने संविधान का उल्लंघन किया। अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर बंधन लगाए गए।
सीएम मोहन यादव ने युवाओं से आपातकाल के बारे में प्रश्न पूछे और उन्हें वर्तमान समय की विशेषताओं पर विचार करने का अवसर दिया।
उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे इंटर स्टेट बस टर्मिनल में आयोजित युवा संसद कार्यक्रम में ये बातें कहीं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने युवा संसद कार्यक्रम की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "आपातकाल के अंधकार से आजादी के उजाले तक युवा ही सेतु बने"। उन्होंने कहा, "आज भोपाल में युवा संसद कार्यक्रम में ऊर्जावान युवाओं से संवाद का अवसर मिला। जिस समय कांग्रेस ने अपने 'परिवार' के हित में देश के युवाओं की आवाज दबा दी थी, उसी भारत में आज का युवा राष्ट्र निर्माण का प्रणेता बन चुका है। यह नया भारत है, जहां विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्य में युवा शक्ति निर्णायक भूमिका निभा रही है।"
युवा संसद कार्यक्रम को वरिष्ठ सांसद वीडी शर्मा ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को इमरजेंसी के बारे में जानकारी देना आवश्यक है। कई युवाओं ने आपातकाल की बुराइयों पर विचार व्यक्त किए और इसे लोकतंत्र के खिलाफ कदम बताया।
यह उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने संविधान हत्या दिवस, 25 जून 2025, से एक वर्ष तक विभिन्न गतिविधियों के संचालन के निर्देश दिए हैं। इस क्रम में मध्य प्रदेश में लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान और विभिन्न स्पर्धाओं का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री यादव ने वरिष्ठ लोकतंत्र सेनानी विभीषण सिंह को सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। आयोजक संस्था की ओर से प्रदेश पदाधिकारी वैभव पवार और राष्ट्रीय पदाधिकारी रोहित चहल ने अतिथियों का स्वागत किया और युवा संसद में विचार साझा किए।