क्या आतंकवाद की कोई जाति या धर्म नहीं होते? : अवधेश प्रसाद

सारांश
Key Takeaways
- आतंकवाद का कोई जाति या धर्म नहीं होता।
- न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार।
- मतदाता पुनरीक्षण लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- संसद में खुलकर चर्चा होनी चाहिए।
- भाजपा लोकतंत्र को समाप्त करने की कोशिश कर रही है।
लखनऊ, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में न्यायालय के फैसले पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से स्पष्ट इनकार किया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा कि यह न्यायालय का फैसला है और हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। लेकिन, वर्तमान में जिस प्रकार इसे जाति और धर्म से जोड़कर देखने का प्रयास किया जा रहा है, उस संदर्भ में मैं कहना चाहूंगा कि आतंकवाद की कोई जाति या धर्म नहीं होते। आतंकवाद केवल आतंकवाद होता है। इसका एक ही उद्देश्य होता है कि लोगों के बीच नफरत पैदा की जाए, उन्हें जाति और धर्म के नाम पर बांटा जाए और दिग्भ्रमित किया जाए।
साथ ही, उन्होंने मतदाता पुनरीक्षण पर कहा कि हम इसका विरोध कर रहे हैं। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों पर कुठाराघात है और लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 21 जुलाई से संसद का सत्र शुरू हो चुका है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद एक मंच होता है, जहां हर मुद्दे पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन, अफसोस है कि केंद्र सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद मंदिर के समान होती है। ऐसे में यदि इन मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी, तो कहां होगी? मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिया गया मताधिकार भाजपा समाप्त करना चाहती है।
वहीं, अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर अवधेश प्रसाद ने कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। लेकिन, यह भी खारिज नहीं किया जा सकता कि भारत की विदेश नीति वर्तमान में पूरी तरह से खोखली हो चुकी है।