क्या एआईएमआईएम सौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी? महागठबंधन का गणित उलझा?

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क्या एआईएमआईएम सौ सीटों पर चुनाव लड़ेगी? महागठबंधन का गणित उलझा?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। इस कदम ने महागठबंधन की रणनीति को चुनौती दी है और मुस्लिम मतदाताओं के वोटों के बंटवारे की संभावना को बढ़ा दिया है। जानिए इस चुनावी जंग के सभी पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • एआईएमआईएम ने सौ सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
  • महागठबंधन के लिए मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा संकट पैदा कर सकता है।
  • राजद मुस्लिम मतदाताओं को अपना वोट बैंक मानती है।
  • पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा।
  • मतगणना 14 नवंबर को होगी।

पटना, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल और गठबंधन अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। इसी बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 32 सीटों की पहली सूची जारी करते हुए यह घोषणा की कि वह इस चुनाव में सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।

एआईएमआईएम की इस रणनीति ने महागठबंधन, विशेषकर राजद के रणनीतिकारों के लिए चिंता का विषय बन गई है। महागठबंधन के नेता इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन एआईएमआईएम को भाजपा की बी-टीम बताने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में, एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और पांच सीटों पर जीत हासिल कर मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी मजबूती साबित की थी। हालाँकि, बाद में पार्टी के चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे।

एआईएमआईएम की इस घोषणा के बाद मुस्लिम मतदाताओं के वोटों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है, जिससे राजद और महागठबंधन का खेल बिगड़ सकता है। हैदराबाद के सांसद और पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में सीमांचल का दौरा कर यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी इस विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत से उतरेगी।

पार्टी ने इस चुनाव को लेकर दावा किया कि उसका उद्देश्य बिहार में एक 'तीसरा विकल्प' तैयार करना है, जहाँ वर्षों से राजनीति भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस-राजद गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती रही है। कहा जा रहा है कि यदि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी महागठबंधन में शामिल नहीं होती है, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस एआईएमआईएम के साथ चुनावी मैदान में सक्रिय हो सकते हैं। ऐसे में सीमांचल के क्षेत्रों में चुनावी गणित में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी पांच साल में एक बार आते हैं। सीमांचल और कोसी उनके लिए जीवन और खून का रिश्ता है। वह यह भी कहते हैं कि उनकी मां के प्यार को छीनने की ताकत दुनिया में किसी के पास नहीं है।

एआईएमआईएम ने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी और इसके लिए राजद प्रमुख लालू यादव और महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को पत्र भी लिखा था, लेकिन उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद एआईएमआईएम ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

सीमांचल के अधिकांश सीटों पर मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं। राजद भी मुस्लिम मतदाताओं को अपने 'वोट बैंक' के रूप में देखती है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि एआईएमआईएम की इस चुनावी घोषणा ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। ऐसे में सभी दलों को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

एआईएमआईएम ने कितनी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है?
एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है।
महागठबंधन की प्रतिक्रिया क्या है?
महागठबंधन के नेता एआईएमआईएम को भाजपा की बी-टीम बताने में संकोच नहीं कर रहे हैं, लेकिन इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे।