क्या सीएम माझी ने ओडिशा विधानसभा में राष्ट्रपति मुर्मू का स्वागत करके एक ऐतिहासिक क्षण बनाया?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रपति मुर्मू का स्वागत ओडिशा विधानसभा में एक ऐतिहासिक क्षण है।
- 75 वर्षों में पहली बार राष्ट्रपति ने विधानसभा को संबोधित किया।
- मुख्यमंत्री माझी ने इसे गौरव का क्षण बताया।
- राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा प्रेरणादायक है।
- यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करती है।
भुवनेश्वर, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा विधानसभा में गुरुवार का दिन एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना, जब मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के विशेष दौरे पर उनका स्वागत करते हुए भाषण दिया। उन्होंने इस अवसर को राज्य के लोकतांत्रिक इतिहास का “सुनहरा अध्याय” बताते हुए कहा कि 75 वर्षों में पहली बार भारत के राष्ट्रपति ने ओडिशा विधानसभा को संबोधित किया है और उसके सदस्यों का मार्गदर्शन किया है।
मुख्यमंत्री ने सदन के सभी सदस्यों की ओर से राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया और इसे ओडिशा के लिए गौरव का क्षण बताया।
मुख्यमंत्री माझी ने याद किया कि राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी राजनीतिक यात्रा ओडिशा विधानसभा से ही शुरू की थी। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने का उनका सफर लगन, प्रतिबद्धता और कठिन परिश्रम का परिणाम है। अपने जन्मस्थान और अपनी पहली कार्यस्थली से उनका निरंतर जुड़ाव उनके जीवन की प्रेरणादायक कहानी को और भी मजबूत करता है।
माझी ने कहा, “सबसे ऊंचे पद पर पहुंचने के बावजूद उन्होंने अपनी जड़ों को कभी नहीं भुलाया। आज जब वह अपने पहले कार्यस्थल पर लौटी हैं, तो यह संदेश देती हैं कि कोई व्यक्ति कितना भी आगे बढ़ जाए, उसे अपनी जन्मभूमि और पहली कर्मस्थली को सम्मान से याद रखना चाहिए।” उन्होंने इसे ओडिशा की परंपराओं और श्रीजगन्नाथ संस्कृति की जीवंतता का प्रतीक बताया।
माझी ने राष्ट्रपति मुर्मू की साधारण पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव से उनका सफर अदम्य साहस और संकल्प का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी मुर्मू ने कभी हार नहीं मानी और एक साधारण आदिवासी परिवार से निकलकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचना उनकी अथक मेहनत, जनसेवा के प्रति समर्पण और ईश्वर के आशीर्वाद का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने 2016 में भुवनेश्वर में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दिए गए राष्ट्रपति के भाषण को याद किया, जिसमें उन्होंने स्कूल के दिनों में जंगल से जलाऊ लकड़ी इकट्ठा कर कठिन परिस्थितियों में खाना पकाने जैसे संघर्षों का उल्लेख किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन के हर सदस्य ने, किसी भी दलगत सीमा से ऊपर उठकर, राष्ट्रपति की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त किया है। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर भी खुशी जताई और कहा, “मैं भी एक आदिवासी परिवार से आता हूं, इसलिए मुझे गर्व है कि माननीय राष्ट्रपति के मार्गदर्शन में ओडिशा की जनता की सेवा करने का अवसर मिला है।” उन्होंने कहा कि ओडिशा, जहां लगभग एक-चौथाई आबादी आदिवासी समुदाय से है, इस बात से गौरवान्वित है कि राज्य की एक बेटी, वह भी आदिवासी समाज से, देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रही हैं।
अपने भाषण में मुख्यमंत्री माझी ने कहा कि ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धियां भारतीय संविधान की वजह से संभव हुई हैं, जो समाज के हर वर्ग को सशक्त करता है। उन्होंने बुधवार को मनाए गए संविधान दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति द्वारा दिया गया भाषण 140 करोड़ भारतीयों के हृदय को छू गया था और ओडिशा विधानसभा में उनका मार्गदर्शन लोकतंत्र के प्रति समर्पित लोगों को निरंतर प्रेरित करता रहेगा।
माझी ने राष्ट्रपति द्वारा पदभार संभालने के बाद ओडिशा के कई दौरों और विभिन्न विकास परियोजनाओं के उद्घाटन में निभाई गई भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के विधानसभा आगमन ने बतौर एक विधायक उनके समर्पित, कुशल और प्रभावी कार्यकाल की यादें एक बार फिर ताजा कर दी हैं, जिसके लिए उन्हें “बेस्ट वुमन लेजिस्लेटर” के रूप में सम्मानित किया गया था।