क्या शनिवार को बन रहा है रवि योग, शनिदेव और सूर्य की उपासना से बनेंगे नए काम?

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क्या शनिवार को बन रहा है रवि योग, शनिदेव और सूर्य की उपासना से बनेंगे नए काम?

सारांश

इस शनिवार को मार्गशीर्ष मास की नवमी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा और सूर्य की उपासना से नए कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। जानें इसके महत्व और उपाय।

Key Takeaways

  • रवि योग में किए गए कार्यों में बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • शनिदेव की उपासना से कठिनाइयों का सामना करने में मदद मिलती है।
  • इस दिन निवेश और व्यवसाय की शुरुआत करना लाभकारी है।
  • पीपल के पेड़ की पूजा से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
  • सात शनिवार व्रत करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि शनिवार को पड़ रही है। इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सभी योगों में रवि योग अत्यंत शुभ और प्रभावशाली माना जाता है।

रवि योग तब बनता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है। यह एक ऐसा समय होता है जिसमें निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित कामों की शुरुआत करना बेहद लाभकारी माना जाता है।

ज्योतिष के अनुसार, इस योग में किए गए कार्यों में विघ्न समाप्त होते हैं और सफलता की संभावना बढ़ जाती है। इसका दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलता है।

धार्मिक ग्रंथों में इस दिन जातकों के लिए कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं। मान्यता है कि रवि योग में सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए सुबह पूजा के बाद अर्घ्य और 'ओम सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में तेज, ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।

नवमी तिथि पर शनिवार भी है। जिनके जीवन में शनि की साढ़े साती और ढैय्या चल रही है, वे शनिदेव की विधि-विधान से पूजा या व्रत रख सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को संघर्षपूर्ण जीवन देकर सोने की तरह चमकाते हैं।

शनिवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से शुरू किया जा सकता है। मान्यता है कि केवल 7 शनिवार व्रत रखने से छाया पुत्र शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सकता है। साथ ही विशेष फल की प्राप्ति भी होती है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा को जल से स्नान कराएं, उन्हें गुड़, काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें और उनके सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं, लेकिन ध्यान रहे ऐसा करते समय शनिदेव से आंखें न मिलाएं।

मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है। जो जातक शनिदेव की पूजा या व्रत नहीं रख सकते, वे हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और छाया दान करें। इससे नकारात्मकता भी दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Point of View

इससे न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि व्यवसाय में भी प्रगति की संभावना बढ़ती है। यह दिन शनिदेव की उपासना के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो कठिनाइयों से उबरने में मदद कर सकता है।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

रवि योग क्या है?
रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है।
शनिदेव की पूजा कैसे करें?
शनिदेव की पूजा के लिए स्नान के बाद मंदिर को साफ करें और उन्हें गुड़ और काले वस्त्र अर्पित करें।
रवि योग में कौन से काम करना चाहिए?
इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित कामों की शुरुआत करना लाभकारी होता है।
क्या शनिवार व्रत से लाभ होता है?
सात शनिवार व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से बचा जा सकता है और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पीपल के पेड़ की पूजा का महत्व क्या है?
पीपल के पेड़ पर शनिदेव का वास होता है, इसलिए वहां सरसों के तेल का दीपक जलाना लाभदायक होता है।
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