क्या वायु प्रदूषण से गठिया का खतरा बढ़ रहा है?

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क्या वायु प्रदूषण से गठिया का खतरा बढ़ रहा है?

सारांश

नई दिल्ली में हालिया शोधों से यह पुष्टि हुई है कि वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पीएम 2.5 कण, रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मामलों को बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

Key Takeaways

  • वायु प्रदूषण गठिया के मामलों में वृद्धि का कारण बन रहा है।
  • पीएम 2.5 और अन्य प्रदूषक जोड़ों की समस्या को बढ़ाते हैं।
  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।
  • सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  • गठिया एक पुरानी बीमारी है और इसका प्रबंधन आवश्यक है।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पहले यह समझा जाता था कि रूमेटॉइड आर्थराइटिस अर्थात् गठिया का मुख्य कारण आनुवांशिकता या शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली में असामान्यता है। लेकिन अब के अध्ययन और चिकित्सक यह बता रहे हैं कि खराब वायु गुणवत्ता भी इस बीमारी के बढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

हालिया शोधों ने यह दर्शाया है कि हवा में मौजूद पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण न केवल फेफड़ों और दिल की समस्याओं का कारण बनते हैं, बल्कि जोड़ों की सूजन और दर्द को भी बढ़ावा देते हैं।

दिल्ली के एम्स में रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने कहा, "जो लोग प्रदूषण वाले क्षेत्रों में निवास करते हैं और जिनके परिवार में इस बीमारी का कोई इतिहास नहीं है, उनमें भी गठिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हवा में मौजूद जहरीले कण शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं, जिससे जोड़ों को हानि पहुँचती है और यह बीमारी तेजी से फैलती है। यह अब एक गंभीर जन स्वास्थ्य संकट बन चुका है।"

डॉ. कुमार ने यह जानकारी भारतीय रुमेटोलॉजी एसोसिएशन के 40वें वार्षिक सम्मेलन में साझा की। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 1 प्रतिशत वयस्क इस बीमारी से प्रभावित हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के कारण यह संख्या और बढ़ सकती है। यह चिंताजनक है क्योंकि रूमेटॉइड आर्थराइटिस एक पुरानी बीमारी है और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है; केवल लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. पुलिन गुप्ता ने कहा कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों में गठिया अधिक गंभीर रूप में देखने को मिल रहा है। ये मरीज सामान्य मरीजों की तुलना में अधिक दर्द में हैं।

अध्ययनों ने यह भी साबित किया है कि पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन जैसे प्रदूषक जोड़ों की समस्या के खतरे को बढ़ाते हैं। खासकर वे लोग जिनके जीन में इस बीमारी का जोखिम है, वे और अधिक प्रभावित होते हैं। ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में रहने वालों में गठिया का खतरा अधिक होता है क्योंकि वहां की हवा और भी अधिक प्रदूषित होती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी आज के समय में एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसे रोकने के लिए केवल दवाइयाँ लेना ही पर्याप्त नहीं है। लोगों को अपनी दिनचर्या में बदलाव करना होगा, जैसे प्रदूषण वाले स्थानों से दूर रहना, बाहर जाते समय मास्क पहनना, और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। इसके साथ ही सरकार और स्थानीय प्रशासन को भी आवश्यक कदम उठाने होंगे। शहरों में हरियाली बढ़ानी होगी, प्रदूषण पर सख्त नियंत्रण करना होगा, और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्प बढ़ाने होंगे।

Point of View

यह स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरा बन गया है। हमें इस समस्या के प्रति जागरूक होना चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या वायु प्रदूषण गठिया को प्रभावित करता है?
हाँ, हालिया अध्ययन बताते हैं कि वायु प्रदूषण, विशेषकर पीएम 2.5, गठिया के मामलों को बढ़ा सकता है।
गठिया का क्या इलाज है?
गठिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।