क्या अक्षरधाम मंदिर में जल-झूलनी और गणपति विसर्जन महोत्सव मनाया गया?

सारांश
Key Takeaways
- जल-झूलनी उत्सव का आयोजन हर साल अक्षरधाम मंदिर में होता है।
- भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन श्रद्धा से किया जाता है।
- इस आयोजन में साधु और धर्मगुरु की उपस्थिति होती है।
- भक्तों द्वारा आरतियां एवं प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
- यह उत्सव भारतीय एकता का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में जल-झूलनी एकादशी का महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गणेश चतुर्थी के दौरान स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन भी श्रद्धा भाव से किया गया। इस आयोजन में कई साधु, धर्मगुरु और एक बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।
जल-झूलनी उत्सव, जिसे जल-झूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, खासकर उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह उत्सव हर साल पारंपरिक तरीके से अक्षरधाम मंदिर में आयोजित किया जाता है। धर्मवत्सल स्वामी जी की उपस्थिति में, यह उत्सव खुशी और भक्ति से भरा हुआ था।
अक्षरधाम के सभागार में एक विशाल कृत्रिम सरोवर तैयार किया गया था, जहां भगवान अक्षर-पुरुषोत्तम की मूर्तियों को जल यात्रा के लिए ले जाया गया। भक्तों ने भगवान को पाँच आरतियां और विभिन्न प्रकार के प्रसाद अर्पित किए।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8:00 बजे हुई। इस दौरान एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें देवताओं की मूर्तियों को पालकी पर विराजमान किया गया। इस समय स्वामी नाराण के जयकारे और तालियों की गूंज सुनाई दी। मुनिवत्सल स्वामी जी ने अपने प्रवचन में उत्सव का अर्थ समझाया। गायक मंडली ने भक्ति गीतों और मंत्रों के जरिए आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण किया।
भजन-कीर्तन और ढोल-नगाड़ों की आवाज़ ने मंदिर के वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस दौरान भगवान गणेश जी की पूजा की गई और उनकी मूर्ति का विसर्जन किया गया। संत ने कहा कि यह उत्सव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है, जहां भारतीय समुदाय मौजूद है। यह हमारी एकता को प्रदर्शित करता है।