क्या हैप्पी बर्थडे अमर्त्य सेन: वो अर्थशास्त्री हैं जिनके सिद्धांतों ने अकाल पर बदला दुनिया का नजरिया?

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क्या हैप्पी बर्थडे अमर्त्य सेन: वो अर्थशास्त्री हैं जिनके सिद्धांतों ने अकाल पर बदला दुनिया का नजरिया?

सारांश

अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर 1933 को हुआ। उनकी अर्थशास्त्र में खोजों ने अकाल के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदल दिया। पढ़ें उनकी जीवन यात्रा और सिद्धांतों की कहानी।

Key Takeaways

  • अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर 1933 को हुआ।
  • उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार मिला।
  • उन्होंने कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में पढ़ाया।
  • उनके सिद्धांतों ने नीति निर्माताओं को प्रभावित किया।
  • अकाल पर उनके विचार महत्वपूर्ण हैं।

नई दिल्ली, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के मशहूर अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन सोमवार को 92 वर्ष के हो जाएंगे। उनका जन्म 3 नवंबर, 1933 को पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में हुआ था। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया है।

सेन की प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) के प्रेसीडेंसी कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में अध्ययन किया, जहाँ से उन्होंने बीए (1955), एमए (1959) और पीएचडी (1959) की डिग्री प्राप्त की।

उन्होंने भारत और इंग्लैंड के कई विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र पढ़ाया, जिनमें जादवपुर विश्वविद्यालय (1956-58), दिल्ली विश्वविद्यालय (1963-71), लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, लंदन विश्वविद्यालय (1971-77) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (1977-88) शामिल हैं।

इसके बाद वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय (1988-98) चले गए, जहाँ वे अर्थशास्त्र और दार्शनिकी के प्रोफेसर थे। 1998 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज का मास्टर नियुक्त किया गया, इस पद पर वे 2004 तक रहे। इसके बाद वे लामोंट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के रूप में हार्वर्ड लौट आए।

अमर्त्य सेन को अकाल के कारणों पर काम करने के लिए जाना जाता है, जिसमें भोजन की वास्तविक या अनुमानित कमी के प्रभावों को रोकने या सीमित करने के लिए व्यावहारिक समाधान विकसित करने की क्षमता शामिल है।

सेन का व्यक्तिगत जुड़ाव अकाल से है, क्योंकि उन्होंने 1943 में बंगाल के अकाल को नजदीकी से देखा था, जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए थे।

सेन का मानना था कि उस समय भारत में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर्याप्त थी, लेकिन वितरण की समस्या थी, जिससे कुछ लोगों को ही लाभ मिला।

अपनी पुस्तक 'गरीबी और अकाल: अधिकार और अभाव पर एक निबंध (1981)' में सेन ने बताया कि अकाल के कई मामलों में खाद्य आपूर्ति में कमी नहीं थी। इसके बजाय, विभिन्न सामाजिक और आर्थिक कारणों जैसे घटती मजदूरी, बेरोजगारी, खाद्य कीमतों का बढ़ना और खराब वितरण प्रणाली के चलते कुछ समूहों में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई।

अमर्त्य सेन के सिद्धांतों ने खाद्य संकट और अकाल पर काम कर रही सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को प्रभावित किया।

उनके विचारों ने नीति निर्माताओं को केवल तात्कालिक समस्याओं को कम करने के लिए प्रेरित नहीं किया, बल्कि गरीबों की खोई हुई आय की भरपाई के उपाय खोजने के लिए भी उत्साहित किया।

अतिरिक्त रूप से, सेन का मानना है कि आर्थिक विकास तभी प्रभावी होता है जब शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं में सुधार किया जाए।

Point of View

बल्कि यह वितरण और सामाजिक असमानताओं का परिणाम भी है। यह दृष्टिकोण नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
02/11/2025

Frequently Asked Questions

अमर्त्य सेन का जन्म कब हुआ?
अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर, 1933 को हुआ।
अमर्त्य सेन को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अमर्त्य सेन के कौन से प्रमुख सिद्धांत हैं?
उनके प्रमुख सिद्धांतों में अकाल के कारणों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
अमर्त्य सेन का शिक्षा का क्षेत्र क्या है?
उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र पढ़ाया है।
अमर्त्य सेन की प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी है?
उनकी प्रसिद्ध पुस्तक 'गरीबी और अकाल: अधिकार और अभाव पर एक निबंध' है।